- बॉम्बे हॉस्पिटल में ही 50 मरीज भर्ती, एमवाय अस्पताल का वार्ड भी फुल
उज्जैन निवासी 28 साल के युवक को आंखों में सूजन आई। लेफ्ट आंख से दिखाई देना बंद हो गया। वह अस्पताल पहुंचा। डॉक्टर ने कोविड संक्रमण के बारे में पूछा तो युवक बोला उसे कभी कोराेना नहीं हुआ और न ही स्टेरॉयड खाया। जब सीटी स्कैन करवाया तो पता लगा कि फेफड़ों में 20 से 30 प्रतिशत संक्रमण है शुगर लेवल भी थोड़ा बढ़ा हुआ था।
बॉम्बे हॉस्पिटल के न्यूरोफिजिशयन डॉ. आलोक मांडलिया ने बताया एमआरआई करवाया तो फंगस नजर आया। शुगर जांच करवाई तो वह भी बढ़ी हुई थी। फिर सीटी स्कैन करवाया तो फेफड़े 20 से 30 प्रतिशत संक्रमित मिले। आश्चर्य था कि मरीज ने कभी कोविड का इलाज नहीं लिया। स्टेरॉयड नहीं खाया, फिर भी यह संक्रमण हुआ।
इससे समझ आया कि कमजोर इम्युनिटी को देखते हुए ब्लैक फंगस संक्रमण की चपेट में ले रहा है। लक्षण माइल्ड हो या सीवियर। इससे फर्क नहीं पड़ता। इस बीमारी में यह ध्यान देना जरूरी है कि शुगर लेवल चेक करते रहें। यह वायरस बीटा सेल पर भी अटैक कर नष्ट करता है। लाइफ में पहली बार ऐसा केस देखा है।
ब्लैक फंगस पीड़ितों का सर्वे होगा
गुरुवार रात कलेक्टर मनीष सिंह ने निजी अस्पताल संचालकों, दवा विक्रेताओं, आईएमए के सदस्यों की बैठक ली और ब्लैक फंगस की रोकथाम को लेकर जरूरी उपायों पर चर्चा की। डीन डॉ. संजय दीक्षित, आईएमए अध्यक्ष डाॅ. सतीश जोशी, डॉ. सौरभ मालवीय, डॉ. सुशील जैन, डॉ. विनोद भंडारी आदि मौजूद थे।
इलाज का प्रोटोकॉल बनाने और सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज किए जाने पर चर्चा की गई। सीएमएचओ से बीमारी के मरीजों के सर्वे के लिए कहा गया। उधर, एंटी फंगल दवा का शॉर्टेज अब बड़ा मुद्दा बन गया है।
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