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मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनदायिनी नर्मदा नदी का पानी इतना साफ बिना किसी फिल्टर के पिया जा सकता है

 

घाटों पर फूल-माला, स्नान और गंदगी का स्तर एक महीने में हुआ कम।

कोरोना कर्प्यू का प्रकृति पर पॉजिटिव असर दिखाई दे रहा है। मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनदायिनी कहे जाने वाली नर्मदा नदी का पानी इतना साफ हो चुका है कि अब उसे बिना किसी फिल्टर के पिया जा सकता है। यह मिनरल्स से भी भरपूर है।

यह तथ्य इंदौर संभाग में नर्मदा के प्रवेश स्थल हनुमंतिया-पुनासा से गुजरात- महाराष्ट्र की सीमा ककराना तक लिए गए 17 जगह के सैंपल की जांच में सामने आया है। इन जगहों में मंडलेश्वर और जलूद भी शामिल हैं। यहीं से इंदौर को नर्मदा जल की आपूर्ति होती है। मप्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, इंदौर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिलीप वागेला के मुताबिक, अप्रैल में इन जगहों पर जांच की गई। इसमें नर्मदा का पानी ए श्रेणी का मिला। इसमें सस्पेंडेड सॉलिड, बैक्टीरिया और बायोकेमिकल की मात्रा कम हुई है। पिछले साल की तुलना में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी है।

बंद कारखानों, फूल- माला, लोगों द्वारा किए जाने वाले स्नान, घाटों पर कपड़ों की धुलाई और गंदगी का स्तर एक महीने में कम होने से नर्मदा जल निर्मल होकर मिनरल वॉटर जैसा हो गया है। पिछले साल के मुकाबले इस साल बीओडी का स्तर बेहतर पाया गया है। वर्तमान में बीओडी कई स्थानों पर 0.7 मिलीलीटर प्रति ग्राम पाई गई है। इतने कम बीओडी ने नर्मदा के जल में जलीय जीवों की संख्या बढ़ा दी है।

मप्र पॉल्यूशन बोर्ड ने पुनासा से ककराना के बीच 17 पॉइंट पर की पानी की जांच, उसमें यह बात सामने आई, इनमें मंडलेश्वर व जलूद भी शामिल

8.48 पीएच मान (सभी जगह 8.0 से 8.48 के मध्य)

06 मिग्रा/लीटर सस्पेंडेड सॉलिड (सभी जगह 06 से 09 के मध्य)

7.8 मिग्रा/लीटर घुलित ऑक्सीजन (सभी जगह 7.3 से 7.8 के मध्य)

0.7 मिग्रा/लीटर बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सभी जगह 0.7 से 1.3 के मध्य)

सस्पेंडेड सॉलिड घटने से शुद्धता बढ़ी

नर्मदा के पानी में इस साल टीडीएस 150 से 200 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला है। यह जितना कम होता है, पानी उतना ही शुद्ध माना जाता है। वहीं वागेला के मुताबिक नर्मदा का पानी तभी साफ माना जाता है, जब उसमें सस्पेंडेड सॉलिड कम हो। सस्पेंडेड सॉलिड पानी में तैरते हुए ठोस पदार्थ होते हैं। नर्मदा नदी में जांच के दौरान सस्पेंडेड सॉलिड की मात्रा 06 मिग्रा/लीटर पाई गई है। इसी वजह से नर्मदा का पानी ए ग्रेड में आ गया है।

अस्थि विसर्जन के बाद भी जल्द हो जाता है पानी साफ

नर्मदा नदी किनारे बड़ी मात्रा में शवदाह और अस्थि संचय का कार्य किया जाता है। इससे भी नर्मदा का पानी खराब होता है। अधिकारियों का कहना है कि ये दोनों काम बंद हो जाएं तो नर्मदा के पानी में और फर्क पड़ेगा। वैसे नर्मदा का बहाव अधिक होने और स्व शुद्धिकरण की क्षमता अधिक होने के कारण शवदाह और अस्थि संचय के बावजूद भी नर्मदा का पानी जल्द साफ हो जाता है।

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