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आपदा में लोगों की मजबूरी का जमकर फायदा उठा रहे निजी अस्पताल, लोगों में इस बात को लेकर भारी गुस्सा

 

 जहां देशभर में कोरोना बुरी तरह फैल चूका हे,लोगों की मौत हो रही है, साथ ही इसका इलाज कराना आमजन के लिए भारी होता जा रहा है. कहा जा रहा है कि दिल्ली और मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना के इलाज काफी महंगा हो रहा है. लेकिन इन सब से ज्यादा बुरा हाल इस वक्त बैतूल का है. 

मुश्किल की इस घड़ी में निजी अस्पतालों में अंधी कमाई हो रही है.निजी अस्पतालों ने अपने रेट फिक्स कर लिए हैं. जरनल वार्ड में बेड 7400 रुपये प्रतिदिन, वेंटिलेटर 18000 रुपये प्रति दिन हो चुका है. आम जनता में इस बात को लेकर खासा आक्रोश है. उनका कहना है कि अस्पतालों में खुली लूट चल रही है. अस्पताल वाले आपदा में अवसर खोज रहे हैं.

बता दें कि इलाज महंगा होने से आम जनता के साथ-साथ राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं में भी खासा नाराजगी है. इतना ही नहीं लोग निजी अस्पताल का पुतला दहन तक कर रहे हैं. 

दरअसल बैतूल में कुछ दिनों से निजी अस्पतालों पर लूट के आरोप लग रहे थे. इसी के चलते प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने एक बैठक की और उसमें रेट फिक्स कर दिए. लेकिन यह रेट इतने ज्यादा है की आम जनता यहां इलाज नहीं करवा पाएगी. उनका कहना है कि इतना महंगा इलाज दिल्ली, भोपाल और नागपुर के अस्पतालों में भी नहीं, जितना बैतूल के निजी अस्पतालों में हो रहा है.

ये हैं निजी अस्पतालों के रेट 
आइसोलेशन वार्ड के लिए
1. जनरल बेड का 7400 रुपए प्रतिदिन
2. प्राइवेट रूम  8500 रुपए प्रतिदिन

ऑक्सीजन बेड के लिए 
1. जनरल बेड 8500 रुपए प्रतिदिन
2. नॉन एसी 9000 रुपए प्रतिदिन
3. एसी 9500 रुपए प्रतिदिन

आईसीयू के लिए 
जनरल बेड 13000 रुपए प्रतिदिन
विथ बाईपेप 16000 रुपए प्रतिदिन
वेंटीलेटर 18000 रुपए प्रतिदिन

बता दें कि इन शुल्कों में नर्सिंग चार्ज, डॉक्टर चार्ज, पीपीई किट आदि शामिल हैं. लेकिन दवाओं, जांच आदि के चार्ज शामिल नहीं है. इसका भुगतान मरीज को अलग से करना पड़ेगा.मरीज को लगने वाली ऑक्सीजन का प्रतिदिन का चार्ज 1200 रूपए रहेगा. ये चार्ज वेंटिलेटर को छोड़कर है और इसमें सिलेंडर के हिसाब से चार्ज नहीं लगेगा.

निजी अस्पतालों के रेट तय होने के बाद भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से रेट कम करने की बात कही है. वहीं सोशल मीडिया पर आम जनता इस तरह बढ़ाए गए रेटों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दे रही है. हालात ये हैं कि सरकारी अस्पतालों में पलंग खाली नहीं हैं और आम जनता निजी अस्पतालों में इतना महंगा इलाज नहीं करवा पा रही है.

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