शहर में गुरुवार सुबह 10 से शाम 5 बजे तक रजिस्ट्रियां हो सकेंगी। प्रशासन ने इस पर लगी रोक हटा दी है। अधिकारी 100 फीसदी क्षमता से आएंगे जबकि कर्मचारी 10 से 25% अनुपात में आएंगे। जनता कर्फ्यू लागू होने के बाद से कार्यालय ठप है। अब फिर शुरू किए जाने के आदेश सरकार ने जारी किए हैं। कलेक्टर मनीष सिंह के मुताबिक इससे जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों को कार्य स्थल तक आवाजाही में छूट मिलेगी। हालांकि अभी भी रियल एस्टेट को एक बड़ी राहत प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को लेकर चाहिए, जिसके कारण मजदूरों का पलायन रुक सके। पिछले एक पखवाड़े में शहर से 25 से 30 प्रतिशत मजदूर अपने घर जा चुके हैं।
अभी शहर में प्रॉपर्टी के करीब दो हजार सौदे अटक हुए थे। प्रदेश सरकार ने गाइड लाइन में 30 जून तक जो राहत दी थी, उसका भी समय गुजरता जा रहा था। क्रेडाई सहित अन्य संस्थाओं ने शासन से इस संबंध में मांग की थी कि भले ही रजिस्ट्री का समय और स्लॉट कम कर दिया जाए, लेकिन रजिस्ट्री पर लगी रोक हटाई जाए।
मजदूरों के पलायन का डर, पजेशन भी अटके
रजिस्ट्री अटकने से सौदा-चिट्ठी का धंधा फिर बढ़ने की आशंका थी। प्रशासन ने उचित समय पर निर्णय लेकर इंदौर को बड़ी राहत दी है। हालांकि शहर में रियल एस्टेट सेक्टर की पहली परेशानी रजिस्ट्री पर रोक है तो दूसरी ओर रियल एस्टेट के निर्माणाधीन प्रोजेक्ट भी रोक दिए हैं।
30 प्रतिशत मजदूर तो पहले अपने गांवों को जा चुके हैं, जो यहां रुके हैं, उसके सामने भी अब रोजी-रोटी का संकट है। यदि इसमें प्रशासन राहत दे तो मजदूरों का पलायन रुक जाएगा। क्रेडाई के सचिव विजय गांधी ने बताया कि अभी अधिकांश मजदूरों को बिल्डर और डेवलपर ने रोक रखा है। उनकी व्यवस्थाएं भी हम देख रहे है। रजिस्ट्री की तरह यदि प्रशासन इस पर भी सकारात्मक निर्णय लेता है तो हजारों लोगों को इससे राहत मिलेगी।
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