कहानी - एक दिन कैलाश पर्वत पर शिवजी माता पार्वती को रामकथा सुना रहे थे। रामकथा में श्रीराम और हनुमानजी की पहली भेंट का प्रसंग आया।
हनुमानजी ब्राह्मण बनकर श्रीराम के पास पहुंचे थे। जब श्रीराम ने ब्राह्मण को अपना परिचय दिया तो हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में आकर भगवान के पैरों में गिर पड़े। क्षमा मांगने लगे कि मैं आपको पहचान नहीं सका।
श्रीराम ने हनुमानजी को उठाया और अपने गले से लगा लिया। श्रीराम हनुमानजी से मिलकर इतने प्रसन्न हुए कि वे रोने लगे और अपने आंसुओं से हनुमान का अभिषेक कर दिया। इस भेंट से हनुमानजी को भी बहुत आनंद मिला।
इस प्रसंग का वर्णन करते हुए शिवजी की आंखों से भी आंसू बहने लगे थे। देवी पार्वती ने शिवजी से पूछा, 'आपकी आंखों में आंसू क्यों हैं?'
शिवजी बोले, 'मेरे अंश, मेरे पुत्र हनुमान को एक बड़ी उपलब्धि मिली है। मुझे इस उपलब्धि से इतना आनंद मिला कि मेरी आंखों से आंसू निकल आए हैं।'
सीख - संतान जब भी कोई अच्छा काम करती है, कोई उपलब्धि हासिल करती है तो सबसे ज्यादा खुशी माता-पिता को ही मिलती है। इसीलिए बच्चों को अपने जीवन में ऐसे काम करना चाहिए, जिसके परिणाम में माता-पिता को आनंद और सुख मिले।
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