सात सिस्टर कंपनियों के साथ लेनदेन में गड़बड़ी कर कर्ज देने वाले बैंकों को नुकसान पहुंचाया
सीबीआई की ओर से मिली जानकारी के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर ऋण देने वाली बैंकों की संघ की ओर से कंपनी के मुंबई स्थित कार्यालय और इंदौर स्थित कॉर्पोरेट दफ्तर के अलावा उनके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
बैंक धोखाधड़ी के ये आरोप 1 जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2017 की अवधि के दौरान के हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने डायवर्सन, लेनदेन, कंसोर्टियम बैंक खातों में बिक्री की आय रिटर्न न करने और सात सिस्टर कंपनियों के साथ लेनदेन में गड़बड़ी कर उधार देने वाले बैंकों को नुकसान पहुंचाया। इसमें पंजाब नेशनल बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक सहित दो अन्य बैंकों के साथ गबन किया। बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआई ने मामले की जांच के बाद केस दर्ज किया था।
ग्रुप के कर्मचारियों के नाम पर बनाई कंपनियां, चार बैंकों से 298 करोड़ का लोन लिया, चुकाए केवल 110.35 करोड़
बैंक ऑफ बड़ौदा ने जुलाई 2019 में फाइनेंस ऑडिटर द्वारा रुचि ग्लोबल द्वारा 1 जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2017 के बीच किए गए सभी कामों की जांच कराई। इसमें चौंकाने वाली बात सामने आई। ग्रुप ने अपनी 1777 करोड़ की खरीदी-बिक्री अपने ही ग्रुप से जुड़ी कंपनियों से होना बताया। इसमें 862 करोड़ की खरीदी और 915 करोड़ की सामग्री की बिक्री बताई गई। इसी आधार पर बैंकों से लोन लिए गए। ये कंपनियां ग्रुप के कर्मचारियों के नाम पर बनाई गई थीं, जो फर्जी पते पर थीं। कई कंपनियां उनके पते पर मिली ही नहीं। ग्रुप ने इसी टर्नओवर के आधार पर बैंक ऑफ बड़ाैदा, जम्मू-कश्मीर, पीएनबी और ओरिएंटल बैंक से 298.70 करोड़ का लोन लिया। इसमें से 110 करोड़ ही लौटाए। 188.35 करोड़ अब भी बकाया हैं। शेष|पेज 8 पर
इस मामले में बैंक आफ बड़ौदा नवलखा ब्रांच ने राशि जारी की थी, इसलिए सीबीआई ने इसी बैंक की शिकायत पर केस दर्ज किया है।
बैंक ऑडिट में यह भी सामने आया - ऑडिट रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि ग्रुप ने कई ऐसी कंपनियों के साथ करोड़ों की खरीदी-बिक्री बताई जिनके रिकॉर्ड में यह लेनदेन मिला ही नहीं। इनके पास इसके बिल ही नहीं थे।
- एक कंपनी जो कंस्ट्रक्शन और माइनिंग से जुड़ी थी इससे ग्रुप ने पाम तेल, सोयाबीन की खरीदी-बिक्री बता दी।
- कुछ जगह विदेश से माल खरीदा और बिना भारत में आए बाहर के बाहर ही बिक गया और इसमें लेन-देन बताकर एंट्री ले ली गई।
- जिन कंपनियों से आपस में 1777 करोड़ की खरीदी-बिक्री बताई गई, इसमें रुचि एक्रोनी, रूचि सोया इंडस्ट्रीज, सुमेरू रिर्सोसेस, पुष्कर इकानॉमिक सर्विस, पियाली ट्रेडिंग कंपनी, विंडकास्टल एक्सपोर्ट प्रालि, अहिल्या ट्रेडिंग प्रालि, झेलम इंडस्ट्रीज प्रालि, विभूति इंटरप्राइजेस प्रालि, लुकास मेयर इंडस्ट्रीज, शाश्वत रियलटी डेवलपर्स, एग्रोवेब ऑनलाइन प्रालि शामिल है। ये सभी एक ही ग्रुप से लिंक हैं और इन्हीं के कई कर्मचारियों के नाम से बनी है।
पहले भी हो चुकी है एफआईआर
बैंक लोन मामले में शाहरा पर यह कोई पहली कार्रवाई नहीं है। इसके पहले यूको बैंक से 58 करोड़ की धोखाधडी के मामले में भी सीबीआई रूचि एक्रोनी, उमेश शाहरा, शंभूनाथ, इशिता खंडेलवाल, यामिनी जैन और प्रमोद झालानी पर एफआईआर कर चुकी है।
वहीं 21 बैंकों से रूचि सोया इंडस्ट्रीज द्वारा लिए गए 8323 करोड़ के बैंक लोन को 1 अगस्त 2018 को ही धोखाधड़ी घोषित किया जा चुका है और इस मामले में आईडीबीआई बैंक ने दिल्ली में सीबीआई को शिकायत की हुई है। साथ ही आरएसएएल स्टील प्रालि द्वारा कि 49.93 करोड़ के घोटाले के मामले में सीबीआई नई दिल्ली ने 23 अक्टूबर 2019 को उमेश शाहरा और अरविंद मिश्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज की हुई है।
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