देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी कार्यपरिषद की बैठक सोमवार को हुई। सबसे अहम निर्णय यह हुआ कि इस बार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी सीईटी कराएगी। पहली बार नेशनल एजेंसी सीईटी कराएगी। साढ़े तीन घंटे चली बैठक में सदस्यों ने कई मुद्दों पर प्रशासन को घेरा। विवाद इतना बढ़ा कि दो बार कुलपति को खेद जताकर मामला शांत करना पड़ा। सदस्यों ने सीईटी के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा ऑनलाइन सीईटी का पॉलिसी निर्णय अपने स्तर पर कैसे ले लिया? कार्यपरिषद को भरोसे में क्यों नहीं लिया? वर्चुअल बैठक क्यों नहीं बुलाई? यूनिवर्सिटी ने गलती मानी और मामला खत्म हुआ। तय हुआ कि सीईटी का विज्ञापन एक सप्ताह में जारी होगा। 12 विभागों के 37 कोर्स की 2 हजार 160 सीटों के लिए सीईटी होगी।
12 विभागों के 37 कोर्स की 2160 सीटों के लिए होगी सीईटी, एक सप्ताह में जारी होगा विज्ञापन
दो साल से मेरिट आधार पर हो रहा था एडमिशन
दो साल से यूनिवर्सिटी मेरिट आधार पर एडमिशन दे रही थी। उससे पहले यूनिवर्सिटी ने 2018 में चेन्नई की एक एजेंसी के जरिए ऑनलाइन सीईटी करवाई थी। तकनीकी दिक्कत के कारण कई सेंटर पर एग्जाम निरस्त करना पड़ी थी। तब सरकार ने धारा 52 लगाकर तब के कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ को हटा दिया था।
तकनीकी दिक्कत खत्म होगी, पारदर्शिता आएगी
एनटीए से सीईटी करवाने से पारदर्शिता के साथ ही तकनीकी दिक्कत खत्म होगी। साथ ही देश के किसी भी शहर में आसानी से सेंटर बनाया जा सकेगा। एनटीए को कई नेशनल लेवल की एग्जाम का अनुभव होने के कारण गुणवत्ता बरकरार रहेगी।
राजस्व और पूंजी घाटा 24 करोड़ का दर्शाया
एससी-एसटी सहायता के लिए 39 लाख के बजाय 2 करोड़ राशि का प्रावधान किया गया। कुछ अन्य संशोधन के साथ 355 करोड़ का बजट पास हो गया। राजस्व और पूंजी घाटा 24 करोड़ का दर्शाया है। इसकी पूर्ति यूनिवर्सिटी की निधि और अन्य स्रोतों से की जाएगी। बैठक में डॉ. सुरेश सिलावट, प्रो. मंगल मिश्र, जगदीश चौहान सहित अन्य सदस्यों ने अलग-अलग मुद्दे उठाए। कुलपति डॉ. रेणु जैन, रजिस्ट्रार अनिल शर्मा व रेक्टर डॉ. अशोक शर्मा मौजूद रहे।
ये फैसले भी लिए: नया सॉफ्टवेयर आएगा
- प्रोफेसर डॉ. निरंजन श्रीवास्तव की पत्नी सहित अन्य लोगों की अनुकंपा नियुक्ति का निर्णय फिलहाल टाल दिया गया।
- परीक्षा और रिजल्ट के लिए नया सॉफ्टवेयर खरीदा जाएगा।
- पेपर सेटर्स को निर्देश जारी होगा कि किसी भी महापुरुष या भगवान के नाम पर कोई विवादित टिप्पणी पर कार्रवाई होगी।
- कोरोना काल में जिन कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति दी जाना है, उसमें पूरी प्रक्रिया शासन की गाइडलाइन के आधार पर ही तय होगी।
संगठनों ने उठाई कई मांगें- एबीवीपी के घनश्याम सिंह चौहान, सौरभ शर्मा आदि ने स्कॉलरशिप नहीं आने के कारण फीस के लिए कॉलेजों के दबाव पर सवाल उठाया। एग्जाम फीस में छूट की भी मांग उठाई।
कांग्रेस के अनूप शुक्ला व देवेंद्र यादव ने सीईटी में आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने की मांग उठाई।
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