अगले 12 महीने में 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। फिलहाल इसकी गहमागहमी राज्यों से ज्यादा दिल्ली में दिख रही है। इन चुनावों और अगले दो साल के राजनीतिक घटनाक्रम को साधने की कोशिश में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में बहुप्रतीक्षित फेरबदल की तैयारी है। केंद्र में कई मंत्री 3 से 4 विभागों का काम देख रहे हैं, ऐसे में कैबिनेट विस्तार के कयास काफी समय थे।
कैबिनेट पुनर्गठन में जहां 6-7 नए चेहरों की एंट्री संभावित है, वहीं कई मंत्रियों के प्रभार बदल सकते हैं। चुनावी राज्यों का गणित साधने के लिए यह फेरबदल इतना व्यापक हो सकता है कि 24 मंत्रालयों में चेहरे बदल जाएं। इसे लेकर जून में ही अब तक 4 बड़ी बैठकें पीएम आवास पर हो चुकी हैं।
संघ नेताओं के साथ मंत्रणा हो चुकी है। जुलाई के दूसरे पखवाड़े में होने वाले संसद के मानसून सत्र से पहले यानी जून के अंत तक पीएम मोदी ‘अपग्रेडेड’ कैबिनेट को अंतिम रूप दे सकते हैं। भाजपा के लिए चुनौती यह है कि उसे चुनाव वाले 7 में से 6 राज्यों में सरकार बचानी है। सिर्फ पंजाब में कांग्रेस सरकार है। यूपी, उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल, गोवा और मणिपुर में भाजपा सरकार है।
यूपी को छोड़ बाकी राज्यों में मुकाबले में कांग्रेस है। मोदी सरकार इन राज्यों को नुमाइंदगी देने की कोशिश करेगी। यूपी और पंजाब प्राथमिकता में हैं जहां 8 महीने बाद चुनाव हैं। यूपी सबसे बड़ी चुनौती है जहां कोरोना के कारण भाजपा को गढ़ बचाने में मशक्कत करनी होगी।
ये समीकरण भी साधे जाएंगे
बिहार में "अपनी' सरकार- भाजपा पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी को केंद्र में ला सकती है। दूसरी विकल्प यह है कि सीएम नीतीश कुमार को केंद्र में आने का ऑफर दिया जाए। ऐसा हुआ तो भाजपा का सीएम बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।
महाराष्ट्र से फडनवीस की एंट्री
शिवसेना के एनडीए से हटने से महाराष्ट्र का कैबिनेट में प्रतिनिधित्व कम हुआ है। शिवसेना के अरविंद सावंत भारी उद्योग मंत्री थे। अब पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को केंद्र में मौका दिया जा सकता है।
कुछ को प्रमोशन, कुछ नए चेहरे
राज्यों में सरकार चलाने का अनुभव रखने वालों को मौका दिया जा सकता है। इस कड़ी में सुशील मोदी और फडणवीस के साथ असम के पूर्व सीएम सर्वानंद सोनोवाल का भी नाम है। स्मृति ईरानी को अहम जिम्मेदारी देने, अनिल बलूनी तथा मीनाक्षी लेखी को सरकार में लाने की चर्चा है।
इन मंत्रियों पर दोहरा बोझ
- नितिन गडकरी के पास सड़क परिवहन, राष्ट्रीय राजमार्ग के अलावा एमएसएमई है।
- नरेंद्र तोमर कृषि व ग्रामीण विकास।
- स्मृति ईरानी कपड़ा मंत्रालय के साथ महिला एवं बाल विकास देख रही हैं।
- डॉ. हर्षवर्धन के पास स्वास्थ्य के अलावा साइंस एवं टेक्नोलॉजी मंत्रालय भी है
- प्रकाश जावडेकर के पास पर्यावरण, सूचना-प्रसारण के साथ भारी उद्योग।
- धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम के अलावा इस्पात।
- रविशंकर प्रसाद के पास कानून के अलावा संचार मंत्रालय संभाल रहे हैं।
अनुप्रिया और सिंधिया की चर्चा तो ‘सरप्राइज’ भी संभव
यूपी से अपना दल की अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाने की चर्चा पहले से है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद भी मंत्रीपद की आस में हैं। सूत्रों के मुताबिक पांच शीर्ष मंत्रियों में "सरप्राइज बदलाव' से इंकार नहीं किया जा सकता। कृषि, शिक्षा, रेल, शहरी विकास और नागरिक उड्डयन तक में परिवर्तन के संकेत हैं। वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय में किसी प्रख्यात चिकित्सा विशेषज्ञ को राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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