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दुनिया में पर्यावरण :8 देश जहां पर्यावरण बचाने के अनूठे प्रयास

 

डेनमार्क में 41% आवाजाही साइकिलों से होती है, 2025 तक इसे 50% करने का लक्ष्य है। - Dainik Bhaskar
डेनमार्क में 41% आवाजाही साइकिलों से होती है, 2025 तक इसे 50% करने का लक्ष्य है।

तीन दशक पहले 1992 में रियो डी जनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पर्यावरण के लिए बढ़ती चुनौतियों को स्वीकार करते हुए समाधान की जरूरत जताई थी। उस ऐतिहासिक सम्मेलन के बाद कई संकल्प और समझौते सामने आए। उनमें से एक था- यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज। 1992 में क्योटो प्रोटोकॉल और फिर 2015 के पेरिस समझौते ने कुछ उम्मीदें जगाई हैं।

पेरिस समझौता जलवायु परिवर्तन पर एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसे लगभग 200 देशों ने अपना लिया है, 2016 में यह संधि लागू हो चुकी है। इस समझौते का उद्देश्य वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी हद तक कम करना है, ताकि इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस कम रखा जा सके।

आगे चलकर तापमान वृद्धि को और 1.5 डिग्री सेल्सियस रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन लक्ष्यों को पाने के लिए हर देश को ग्रीन हाउस गैसों के अपने उत्सर्जन को कम करना है। दुनिया के कुछ देशों ने इसके लिए प्रयास किए हैं। जानते हैं कुछ ऐसे देशों में हुए अनूठे प्रयासों के बारे में-

बदलते देश- परिवहन के तरीके बदलने और रिसाइकल पर जोर

1. ब्रिटेन : सबसे पहले कानून बनाया
ब्रिटेन और फ्रांस दुनिया में दो ऐसे देश हैं, जिन्होंने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को शून्य पर लाने के लिए विशेष कानून बनाए हैं। ब्रिटेन ने जून 2019 में कानून बनाकर यह काम 2050 तक करने का लक्ष्य तय किया। ऐसा करने वाला ब्रिटेन पहला जी 7 देश बना था। इसके बाद फ्रांस ने 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के जीरो के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कानून की घोषणा की।
2. स्वीडन : 99% कचरा रिसाइकल
पूरे यूरोप में सबसे कम उत्सर्जन दर स्वीडन में है। 1990 के बाद से यहां उत्सर्जन में 20% की कमी आई है। यहां सरकार ने 2003 में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अलग नीति बनाई थी, जिस पर अमल करते हुए अब यहां केवल 1% ही ठोस कचरा बचता है, बाकी 99% कचरे काे रिसाइकल किया जाता है या उसकी बायोगैस बनती है। यहां पर्यावरण सरंक्षण को राष्ट्रीय जिम्मेदारी माना गया है।
3. फिनलैंड: पर्सनल कारें नहीं होंगी
फ़िनलैंड की राजधानी हेलसिंकी सबसे स्वच्छ राजधानी शहरों में एक है। यहां 24 सौ मील साइकल लेन है। 2025 तक पर्सनल कार खत्म करने का लक्ष्य है। इसकी जगह पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम होगा। 1 हजार लोकल बस स्टॉप होंगे। टैक्सी की तरह बस पिकअप- ड्रॉप सुविधा देंगी। ताकि पर्सनल कारों की जरूरत खत्म की जा सके।

4. डेनमार्क : 41% यात्रा साइकिल से
डेनमार्क में 41% आवाजाही साइकिलों से होती है। 2025 तक इसे 50% करने का लक्ष्य है। 50 साल पहले एक साइकिल पर 3 पेट्रोल वाहन थे। 2016 में साइकिल की संख्या कार से अधिक हो गई। डेनमार्क ग्रीन परिवहन प्रणाली तैयार कर रहा है, जिसमें परिवहन जीवाश्म ईंधन मुक्त हो और भीड़भाड़ और वायु प्रदूषण भी कम होगा।

5. नॉर्वे : 4 साल में होंगी 100% ई-कारें
नॉर्वे ने इलेक्ट्रिक कारों को अपना लिया है। यहां 2017 तक बिकने वाली नई कारों में इलेक्ट्रिक कारों और हाइब्रिड कारों की हिस्सेदारी आधी थी जो 2019 में बढ़कर 60% हो गई। नॉर्वे की सरकार चाहती है कि 2025 तक देश में 100% इलेक्ट्रिक कारें ही बिकें।
6. सिंगापुर: हर इमारत ग्रीन टेक्नोलाॅजी से
सिंगापुर में 2008 में अनिवार्य किया गया था कि नई इमारतों को ग्रीन बिल्डिंग होंगी। 2030 तक सभी 80% इमारतों को ग्रीन करने का लक्ष्य है। यानी इन इमारतों पर हरियाली, सौर ऊर्जा, वाटर रीचार्जिंग जैसे उपाय होंगे।
7. फ्रांस : एसयूवी पर टैक्स दोगुना किया
फ्रांस ने ज्यादा प्रदूषण करने वाली कारें, जैसे एसयूवी पर टैक्स बढ़ा दिया है। पहले से ही 184g/km CO2 उत्सर्जन सीमा से अधिक प्रदूषण करने वाले वाहनों पर 14,000 डॉलर का भुगतान करना होता था। अब बढ़ाकर 22,240 डॉलर (करीब 16 लाख रुपए) कर दिया गया है।
8. पेरू: पर्यावरण मामलों की अलग कोर्ट
इस दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र ने 2018 में अलग पर्यावरण कोर्ट बनाई। अवैध खनन, वनों की कटाई, पर्यावरण क्षरण और वन्यजीवों के व्यापार की सुनवाई इस कोर्ट में होती है। पहले ही साल इस कोर्ट ने तीन हजार मामलों की सुनवाई हुई।

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