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सांसद लालवानी:किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है केन्द्र एवं राज्य सरकार


 इंदौर जिले के किसानों के लिये खरीफ वर्ष 2021 में सोयाबीन बीज की उपलब्धता एवं वितरण व्यवस्था के संबंध में सांसद शंकर लालवानी की अध्यक्षता में गुरूवार को रेसीडेंसी कोठी में बैठक आयोजित की गई। बैठक में कलेक्टर मनीष सिंहउप संचालक कृषि एसएस राजपूतभारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर कि निर्देशक डॉ. नीता खांडेकरकिसान एसोसिएशनबीज उर्वरक एवं कीटनाशी विक्रेत संघ, बीज निगमनाफेडबीज प्रमाणीकरण संस्था और बीज उत्पादक सहकारी संस्था के सदस्य एव अन्य संबंधित अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

            बैठक में सांसद लालवानी एवं कलेक्टर सिंह ने बीज व्यवस्था की जानकारी लीइस पर कृषि उपसंचालक राजपूत ने बताया कि इस वर्ष खरीफ का कुल रकबा 249985 हेक्टर है जिसमें से सोयाबीन का कुल क्षेत्र 220110 हेक्टर है। उन्होंने बताया कि जिले में वर्तमान में 117451.40 क्विंटल सोयाबीन बीज निजी क्षेत्र एवं 9107.60 क्विंटल बीज सहकारी/शासकीय संस्था में उपलब्ध है। इसमें से अभी तक 32600 क्विंटल बीज किसानों को वितरित किया जा चुका है एवं शेष सर्टिफाइड बीज जल्द ही वितरित किये जायेंगे।

*किसानों को ज्यादा से ज्यादा गुणवत्तापूर्ण प्रमाणित बीज प्रदान करें*

            सांसद लालवानी ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है। शासन एवं प्रशासन द्वारा किसानों की समस्याओं का निराकरण कर उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर जिला सोयाबीन के सर्वाधिक उत्पादन हेतु जाना जाता है। हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि सोयाबीन के उत्पादन में किसानों को कम से कम लागत में ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि सोयाबीन का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को अधिक संख्या में अच्छी गुणवत्ता के प्रमाणित बीज उपलब्ध कराये जायें। सांसद लालवानी ने कहा कि कृषि विभाग एवं केन्द्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के समन्वय से किसानों को मौसम के अनुरूप फसल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने एवं सोयाबीन की फसल खराब होने से बचाने के लिये क्या मापदण्ड अपनाने चाहियेइस संबंध में जरूरी प्रशिक्षण दिया जाये। 

            कलेक्टर सिंह ने कृषि उप संचालक को निर्देश दिये कि किसानों की मांग अनुरूप  उन्नत किस्म के सोयाबीन बीज वितरित किये जाये। उन्होंने भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर की निर्देशिका डॉ.खांडेकर को निर्देश दिए कि वेबीनार के माध्यम से सभी संबंधित किसानोंबीज निगम के सदस्यों एवं कृषि अधिकारियों के साथ चर्चा कर सोयाबीन की विभिन्न सीड वैरायटी के बारे में जानकारी प्रदान करें। साथ ही सोयाबीन की वैरायटी 9560 को लेकर किसानों को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उसके समाधान के लिए जरूरी प्रिकॉशन एवं फसल खराब होने से कैसे बचाई जा सकती है उसके बारे में भी आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाये। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा किसानों की आवश्यकतानुसार सोयाबीन बीज की अन्य गुणवत्तापूर्ण वेरायटी महाराष्ट्र एवं राजस्थान से लाने का भी प्रयास किया जायेगा।

            भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की निर्देशिका डॉ. खांडेकर ने बताया कि प्रतिकूल मौसम और सोयाबीन बीज वेरायटी 9560 में आ रही समस्याओं के कारण पिछले कुछ वर्षों से किसानों की फसल खराब हो रही है। इसलिए जरूरी है कि किसान सोयाबीन बीज की अन्य वैरायटी जैसे कि 2034, जे.एस.335 आदि का उपयोग करना शुरू करें। उन्होंने कहा कि किसानों को जागरूक कर फसल को खराब होने से बचाने के लिए जिन एसओपी का पालन करना चाहिए उसकी जानकारी देना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अच्छी वेरायटी के बीजों से मृदा संरक्षण में भी सहायता मिलेगीजिससे किसानों की आगे की फसल अच्छा उत्पादन दे सकेगी।

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