गहने चोरी हो जाए या कहीं गुम जाएं, अगर यह गलाए नहीं गए हैं तो इनके वास्तविक मालिक की पहचान आसानी से हो सकेगी। दरअसल, जिस तरह देश के सभी नागरिकों की पहचान आधार कार्ड में यूआईडी के जरिए की गई है, ठीक उसी तरह सरकार 1 जुलाई से ज्वेलरी के हर नग की विशिष्ट पहचान (यूआईडी) अनिवार्य बनाने जा रही है।
इस यूआईडी में बेचने वाले ज्वेलर का कोड और ज्वेलरी की पहचान दर्ज होगी। पुलिस या फिर कोई व्यक्ति जैसे ही बीआईएस द्वारा बनाए जा रहे मोबाइल एप में यह यूआईडी डालेगी तो यह पता चल जाएगा कि यह ज्वेलरी कब और कहां से खरीदी गई। ज्वेलर के पास इस बात की जानकारी भी होगी कि इस यूआईडी की ज्वेलरी उसने किस ग्राहक को बेची थी।
हॉलमार्क चार से घटकर तीन होंगे
ज्वेलरी में हॉलमार्किंग काफी समय पहले से हो रही है। उसमें चार मार्क होते हैं, जो बीआईएस का लोगो, शुद्धता, हॉल-मार्किंग सेंटर और ज्वैलर के बार में जानकारी देते हैं। अब नई यूआईडी आधारित हॉल-मार्किंग में मार्क की संख्या चार से घटाकर तीन कर दी गई है। इनमें बीआईएस का लोगो, शुद्धता और तीसरा समग्र सील होगी जो ज्वेलर और ज्वेलरी के बारे में बताएगा। इस व्यवस्था के बाद अशुद्ध और अमानक ज्वेलरी बेचने के कारोबार पर अंकुष लगाने में मदद मिलेगी।
भोपाल में 130 ज्वेलर्स ने लिया हॉलमार्क का लाइसेंस
मप्र के 8 शहरों में 16 जून से हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाया जा चुका है। लेकिन ज्वेलर को 31 अगस्त तक हॉलमार्क का लाइसेंस लेने की अनुमति दे दी गई है। भोपाल में 130 ज्वेलर हॉलमार्क का लाइसेंस ले चुके हैं, जबकि इंदौर में इनकी संख्या केवल 77 ही है।
ज्वेलर्स को समय देना चाहिए
बीआईएस अगले महीने से हर ज्वेलरी की यूआईडी बनाने को कह रहा है। सरकार ज्वेलर्स को समय दे।'
-सुशील धनवानी, अध्यक्ष, सर्राफा व्यापारी महासंघ
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