कहानी -अकबर महाराणा प्रताप पर आक्रमण कर चुका था। युद्ध के मैदान में अकबर ने एक ऐसी घोषणा की थी कि सभी हैरान हो गए थे। अकबर ने अपने सैनिकों से कहा, 'मुझे दो लोग जीवित चाहिए। एक तो महाराणा प्रताप और दूसरा उनका हाथी, जिसका नाम रामप्रसाद है।'
बादशाह अकबर के आदेश पर कोई कुछ बोला नहीं, लेकिन सभी इस बात से हैरान थे कि बादशाह हाथी को क्यों पकड़ना चाहते हैं? अकबर के पास ये सूचनाएं थीं कि रामप्रसाद बहुत ही निराला हाथी है। हल्दी घाटी युद्ध में रामप्रसाद ने अकबर के 18 हाथी मारे थे।
युद्ध के मैदान में अकबर के सैनिकों ने रामप्रसाद को घेर लिया। 7 हाथी और 14 महावतों की मदद से रामप्रसाद को बंदी बना लिया गया। रामप्रसाद को कैद में रखा तो अकबर और ज्यादा हैरान था। रामप्रसाद अपने राजा महाराणा प्रताप की वफादारी और याद में अन्न का एक दाना भी नहीं खा रहा था।
अकबर ने गुस्से में आकर उसका नाम रामप्रसाद से बदलकर वीरप्रसाद कर दिया था। एक दिन भूखे रहने के कारण रामप्रसाद की मृत्यु हो गई। तब अकबर ने अपने मंत्रियों से कहा, 'जिसके हाथी इतने वफादर हों, जिसके जानवर मालिक के लिए जान देने को तैयार हों, उसे हराना बहुत मुश्किल काम है।'
ये बात महाराणा प्रताप तक पहुंची तो उन्होंने कहा, 'मैंने अपने साथ रहने वाले किसी प्राणी में कभी भी कोई भेदभाव नहीं किया है। सभी से प्रेम का रिश्ता निभाया है।'
सीख - इंसानों के साथ ही अपने आसपास के पशुओं से भी प्रेम का रिश्ता निभाना चाहिए। ऐसा करने पर पशु हमारे लिए उतने ही वफादार रहेंगे, जितना कोई इंसान हो सकता है।
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