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स्मृति शेष:आचार्य ऋषभचंद्रसूरिजी हमेशा मानवसेवा के प्रति समर्पित रहे हर वर्ग के प्रिय थे

 

ऋषभचंद्रसूरिजी।
  • कोविड मरीजों के लिए बनवाया 300 बेड का अस्पताल, उनकी सेवा करते-करते खुद महामारी का शिकार हो गए

(मुनि दिव्यचंद्रविजयी 35 साल से गुरुदेव के शिष्य)

आचार्य ऋषभचंद्रसूरिजी हमेशा मानवसेवा के प्रति समर्पित रहे। वे हर वर्ग के प्रिय थे। नेता, अभिनेता और आमजन उनसे मिलने आते रहते थे। कोविड के दौरान आचार्यश्री ने 300 बेड का अस्पताल बनवाया। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के लिए भी वे बेड की व्यवस्था कर रहे थे। कोविड मरीजों की सेवा करते-करते वे खुद महामारी का शिकार हो गए। इलाज के दौरान भी वे इस संबंध में चर्चा करते रहते थे कि कोविड मरीजों के लिए क्या सुविधाएं जुटाई जा सकती हैं। गुरुदेव ज्याेतिष और तंत्रशास्त्र के भी विद्वान थे।

राजगढ़ के 100 साल पुराने महावीर स्वामी मंदिर के जीर्णाेंद्धार के बाद 12 साल तक समाज व श्रीसंघाें में आपसी खींचतान के चलते प्राण-प्रतिष्ठा नहीं हाे पाई थी। आचार्यश्री ने समाजजन से चर्चा के बाद इस विवाद का हल निकाल प्राण-प्रतिष्ठा महाेत्सव बड़े पैमाने पर संपन्न कराया। राजस्थान, भीनमाल में भी कई विवादाें काे गुरुदेव ने समाप्त कराया। आचार्यश्री के मन में युवावस्था से जनसेवा का अनूठा जज्बा था।

वे मोहनखेड़ा तीर्थ को समग्र समाज के साथ जोड़ना चाहते थे। इस प्रयास में वे बहुत कुछ सफल भी हुए। सभी समाज के लिए उन्होंने 1984 में मानव सेवा चिकित्सालय की स्थापना की, जो आज संपूर्ण क्षेत्र में सेवा का पर्याय बन चुका है। उनके सान्निध्य में सैकड़ों नेत्र शिविर, चिकित्सा शिविर, विकलांगों के लिए उपकरण वितरण शिविर आदि का आयोजन किया गया। हजारों महिलाओं को सिलाई मशीनें वितरित की गईं।

सेवा का प्रकल्प... मोहनखेड़ा में दस से अधिक धर्मशालाएं

माेहनखेड़ा में दस से अधिक धर्मशालाएं हैं। प्रत्येक धर्मशाला में 100 से ज्यादा कमरे हैं, जिनमें 10 से 15 हजार लाेग रुक सकते हैं। सभी धर्मशालाओं में 1 हजार से अधिक कमरे हैं। भाेजन शाला में सामान्य दिनाें में 1500 लाेगाें का भाेजन बनता है।


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