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जीवन मंत्र:हमें अपनी मातृभाषा को पूरा मान देना चाहिए, हर महत्वपूर्ण अवसर पर मातृभाषा का उपयोग जरूर करें

 

कहानी - महात्मा गाँधी का स्वभाव था कि वे सार्वजनिक मंच से या व्यक्तिगत रूप से किसी से भी बात करते थे तो श्रोताओं से सीधी बातचीत करते थे।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में मदन मोहन मालवीय जी के विशेष अनुरोध पर गांधी जी भी पहुंचे थे। वायसराय एनी बेसेंट के साथ ही कई बड़े लोग वहां उपस्थित थे। सभी ने अपना भाषण अंग्रेजी में दिया।

जब महात्मा गांधी जी के बोलने का समय आया तो उन्होंने भाषण हिन्दी में दिया। उन्होंने उन लोगों पर भी टिप्पणी की, जिन्होंने अंग्रेजी में भाषण दिया था। ये एनी बेसेंट को अच्छा नहीं लगा, वह वहां से चली गईं। गांधी जी की बातें सुनकर सभी चौंक गए। कुछ लोग शर्मिंदा भी हो रहे थे।

गांधी जी ने सभी श्रोताओं से कहा, 'आप बताइए, हमारे ही देश में हमारी मातृभाषा में बोलना, क्या अपमानजनक है? अगर हम लोग ही इसे रोकेंगे तो एक दिन इस देश की मातृभाषा अंग्रेजी हो जाएगी। हिन्दी हमारी मातृभाषा है तो हमें हर महत्वपूर्ण अवसर पर इसे मान देना चाहिए।'

श्रोता गांधी जी की बात से सहमत हो गए। सभी लोग समझ गए कि गांधी जी सिर्फ अच्छी बातें बोलते ही नहीं है, बल्कि इन बातों को जीवन में भी उतारते हैं।

सीख - हमें अपनी मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए। जब भी कोई बड़ा अवसर आए तो मातृभाषा का उपयोग जरूर करें।


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