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गुजरात सरकार : जनता कर्फ्यू को देखते हुए होटल, रेस्त्रां, रिसाॅर्ट आदि का एक साल का प्राॅपर्टी टैक्स माफ कर दिया है

 गुजरात सरकार ने जनता कर्फ्यू को देखते हुए होटल, रेस्त्रां, रिसाॅर्ट आदि का एक साल का प्राॅपर्टी टैक्स माफ कर दिया है। बिजली के फिक्स चार्ज से राहत दी है, अब उन्हें सिर्फ मीटर रीडिंग के हिसाब से बिल देना होगा। इंदौर में भी ये कारोबार लंबे समय से बंद हैं।

बावजूद कारोबारियों को हर माह प्रॉपर्टी टैक्स व बिजली के फिक्स चार्जेस पर 40 करोड़ रु. से ज्यादा चुकाना पड़ रहे हैं। संस्थान बंद होने के बाद भी कचरा प्रबंधन शुल्क वसूला जा रहा है। अहिल्या चेंबर के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल कहते हैं कि सरकार हर सेक्टर को राहत दे रही है सिवाय कारोबारी को। हमारे बिल व संपत्ति कर माफ करें,गरीब कारोबारी को सम्मान राशि दें, इसके बाद चाहे जितने दिन कर्फ्यू लगाएं।

शीतला माता बाजार में पांच फीसदी कारोबारी दुकान मालिकों को बोल चुके हैं कि वह अब दुकान नहीं चलाएंगे, उन्हें घाटा हो गया है आप किसी और को किराए पर दे दो। यहीं हालत कई सेक्टर के बाजारों में बताई जा रही है। कर्फ्यू के चलते कारोबार तो बंद रहा लेकिन बिजली बिल लगातार जारी रहे, जीएसटी भरना ही है, कर्मचारियों को राशि देना है और वहीं निगम को संपत्ति कर आदि भी भरना है। अभी भी शहर में रेडीमेड गारमेंट का रिटेल सेक्टर, बर्तन बाजार, होम एप्लाएंयस, ज्वेलरी शाप, सराफा रिटेल के लिए, आटो शोरूम बंद है।

मालवा चेंबर के अध्यक्ष अजीत नारंग ने कहा कि टैक्स आदि को लेकर सरकार का मीटर पूरा चालू रहता है चाहे कारोबार हो या नहीं हो, कम से कम सरकार को टैक्स आदि में राहत तो देना चाहिए। वहीं कुछ कारोबारी संगठनों के पदाधिकारियों ने गुस्से में कहा कि आज तक समझ नहीं आया कि हम बाजार खुलवाने के लिए जगह-जगह नेता, प्रशासन को ज्ञापन देते हुए क्यों घूमते रहें, क्या उन्हें नहीं पता कि कारोबार नहीं चलेगा तो कैसे रोजी-रोटी चलेगी, वह खुद आगे बढकर कारोबार क्यों नहीं खोल देते। बीते साल भी यही हुआ, हर सेक्टर को बार-बार नेताओं के चक्कर लगाने पडे, तब जाकर रियायत दी गई।

किस्तों में चुकाए- पिछली लहर में आए 8 लाख तक के बिल

हैवी लोड लेने वाले संस्थान होटल, मॉल, सिनेमाघर, मैरिज गार्डन पर बिजली कनेक्शन पर एक फिक्स चार्ज लेते हैं। सौ एचपी का लोड लेने पर करीब 60 हजार माह का बिल तय है, भले वह एक बल्ब जलाए। बीते साल फैक्टरी भी बंद थी, तब भी एक चाकलेट कारोबारी और वायर उत्पादक को सात से आठ लाख रु. के बिल बंद फैक्टरी के आए थे। तब भी सिर्फ इन्हें तीन किस्तों में चुकाने की रियायत मिली थी। माफ कुछ नहीं हुआ।

इतनी सी राहत अप्रैल से जून के प्रॉपर्टी टैक्स पर सरचार्ज नहीं

सरकार ने मंगलवार को थोड़ी राहत जरूर दी है। नगरीय निकायों के करों का भुगतान 31 जुलाई तक करने पर उपभोक्ताओं को अप्रैल से जून माह तक के टैक्स पर कोई सरचार्ज नहीं देना होगा। संपत्तिकर, जलदर, किराया आदि के बकाया के सरचार्ज पर 25 से 100% तक 31 अगस्त तक छूट दी है। कारोबारियों को अलग से कोई राहत नहीं दी है।

जीएसटी में राहत संभव नहीं प्रॉपर्टी टैक्स, बिल में है

जीएसटी में कारोबारी को रिटर्न की तारीख आगे बढ़ाने और लेट फीस माफ करने की राहत पहले ही दे दी गई। टैक्स में राहत का कोई नियम नहीं है। प्रॉपर्टी टैक्स, बिजली के फिक्स चार्ज माफ किए जा सकते हैं। - सुदीप गुप्ता, रिटायर जीएसटी लॉ कमेटी सदस्य

कम से कम स्थानीय करों में तो कुछ राहत मिले

हमने सरकार से स्थानीय विविध करों में रियायत देने, बिजली के बिल माफ करने की मांग की है। अब कचरा शुल्क लेने का मतलब नहीं, जब गार्डन बंद हैं। यही स्थिति बिजली बिल के फिक्स चार्ज की है। - सुमित सूरी, मप्र होटल एंड रेस्टारेंट एसोसिएशन

गुजरात -

  • सिनेमा, मल्टीप्लेक्स को भी राहत
  • होटल, रेस्त्रां, रिसाॅर्ट आदि का 1 साल का प्रॉपर्टी टैक्स माफ
  • इन सेक्टर्स को बिजली पर सरचार्ज नहीं देना होगा। मीटर रीडिंग से बनेगा बिल।

इंदौर -

  • 30 करोड़ बिल, 12 करोड़ प्रॉपर्टी टैक्स
  • ये पूरा सेक्टर, साल में 5 माह खुला। फिर भी पूरा टैक्स ले रहे।
  • संस्थान बंद हैं, कचरा नहीं निकल रहा, 100 रु. वर्गफीट कचरा प्रबंधन शुल्क ले रहे हैं।

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