- मूल सदस्य 1991 से यहां अपनी जमीन के लिए भटक रहे
कलेक्टोरेट में 350 किलो दस्तावेजों की जांच से जागृति संस्था और इसके द्वारा काटी गई राजगृही कॉलोनी की जांच चल रही है। हर बस्ता पांच से सात किलो का है और ऐसे 40 बस्ते होने के साथ ही अलग से हर प्लॉट को लेकर एक-एक फाइल भी बनी हुई है। इन फाइलों का वजन ही 70 किलो से ज्यादा का है। इन भारी दस्तावेजों में जागृति की पीपल्याहाना स्थित 64 एकड़ जमीन में सदस्यों को प्लॉट देने में हुई गड़बड़ी की कहानी दबी हुई है। इस जमीन की आज की बाजार कीमत 1200 करोड़ रुपए से कम नहीं है।
भूमाफिया बॉबी छाबड़ा इसी जमीन में साल 2003 में दाखिल हुआ था और इसी के बाद इसमें भूखंड छोटे कर अपने वाले नए सदस्य बनाकर उन्हें जमीन देने का सबसे बड़ा घोटाला हुआ था। मूल सदस्य 1991 से ही यहां जमीन के लिए भटक रहे हैं। यहां अभी तक 1280 रजिस्ट्री सामने आ चुकी है, जिसमें 150 से ज्यादा प्रारंभिक जांच में फर्जी, संदिग्ध नजर आ रही हैं। अब पंजीयन विभाग से इन रजिस्ट्रियों की रिपोर्ट ली जा रही है। यह प्रमाणित होने के बाद कि यह फर्जी हैं, इन सभी को शून्य किया जाएगा। कई भूखंड दो-तीन बार बिक गए।
बिक गई संस्था की 15 एकड़ जमीन
संस्था की 64 एकड़ जमीन है। साल 1991-92 में जब नक्शा पास हुआ, तब 894 भूखंड यहां काटे गए थे, लेकिन बाद में बॉबी छाबड़ा की दखल के बाद 2100, 1800 और 1500 वर्गफीट वाले बड़े प्लॉट को छोटा किया गया और साल 2004 में नया नक्शा पास कर 1157 भूखंड कर दिए गए। इसमें नए सदस्य बना दिए गए।
साथ ही प्लॉट काटने के बाद बची करीब 15 एकड़ जमीन बॉबी के दखल वाली दूसरी संस्था सविता के साथ ही दीपगणेश, दीप गृह व कुछ निजी ग्रुप को दे दी गई। सविता गृह निर्माण ने ही 118 रजिस्ट्रियां कर दीं। जब साल 1981 में जागृति संस्था बनी थी, उस समय तत्कालीन अध्यक्ष शांतिलाल बम थे। फिर गोविंद माहेश्वरी अध्यक्ष बने और संस्था में रवींद्र बम और जयेंद्र बम भी आ गए।
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