कोविड के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। देश को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने में अब एक साल का अतिरिक्त समय लगेगा। हालांकि देश टारगेट की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल जैसा लॉकडाउन नहीं होने से ज्यादा हालात नहीं बिगड़े। रिकवरी बहुत तेजी से हो रही है। उम्मीद है जल्द जीडीपी डबल डिजिट में पहुंचेगी।
यह बात केंद्र के प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मीडिया से चर्चा में कही। एक सवाल के जवाब में सान्याल ने माना कि कच्चे तेल के दाम बढ़ने के कारण महंगाई पर नियंत्रण में दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने संकेत दिया कि इकोनॉमी की रिकवरी के लिए सरकार के कड़े फैसले जारी रहेंगे।
यानी महंगाई से फिलहाल ज्यादा राहत मिलने की संभावना कम है। जब इकोनॉमी रफ्तार पकड़ेगी, तब कच्चे तेल से लेकर अन्य मुद्दों पर निर्णय लिए जाएंगे। सान्याल ने कहा कि कोरोनाकाल में भी देश में डायरेक्ट टैक्स बढ़ा है। यह अच्छा संकेत है। केंद्र के बजट को भी उन्होंने अर्थव्यवस्था की रफ्तार के लिए बेहतर बताया। ज्यादातर एक्सपर्ट और आलोचक भी बजट की प्रशंसा करते नजर आए थे। उन्होंने एफडीआई की भी तारीफ की।
पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में नहीं आएगा
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की कोई चर्चा नहीं है। वैसे भी जीएसटी काउंसिल को सारे पॉलिसी डिसीजन लेना होते हैं। इसमें राज्य सरकारों के भी प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
बदलाव के बाद व्यापारियों ने जीएसटी अपना लिया
वेबसाइट पर रिटर्न भरने सहित कई तकनीकी परेशानियां आई हैं, लेकिन इन्फोसिस से चर्चा के बाद समाधान निकल गया है। जरूरी बदलाव के बाद व्यापारियों ने जीएसटी को अपना लिया है।
कोविड की तीसरी लहर से चिंता
कोविड की संभावित तीसरी लहर को लेकर चिंता है। मगर कोई यह नहीं बता सकता कि वह किस स्तर तक नुकसान पहुंचाएगी। हालांकि अर्थव्यवस्था पटरी पर बनी रहे, इसके लिए हर स्तर पर कदम उठा रहे हैं।
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