- पंडालों में विराजित करने के लिए 5 सितंबर तक गणपति बप्पा हो जाएंगे तैयार
कोरोना की संभाविक तीसरी लहर के बीच शहर के मूर्तिकारों ने गणेश प्रतिमा बनाना शुरू कर दिया है। शहर में कई जगह पंडालों में भव्य मूर्ति की स्थापना की जाती है, लेकिन मूर्तिकारों का कहना है कि पिछले साल प्रशासन ने चार फीट ऊंची मूर्ति बनाने की गाइडलाइन जारी की थी, इसलिए अभी उतनी ही ऊंचाई तक की मूर्तियां बना रहे हैं। बड़ी मूर्तियों के लिए नई गाइडलाइन का इंतजार है। वहीं शहर में हर साल 10 हजार से ज्यादा मूर्तियां बनती थी, लेकिन इस बार कोरोना को देखते हुए 6 हजार के आसपास ही बनाई जा रही हैं। 10 सितंबर से गणेशोत्सव शुरू होगा। 5 सितंबर तक मूर्तियां तैयार हो जाएंगी।
मूर्तिकार बोले- नई गाइडलाइन न आने से 4 फीट तक ऊंची ही बना रहे प्रतिमा
225 साल से होलकर राजवंश के लिए मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार श्याम खरगोणकर कहते हैं मूर्तियां बनाने का काम वैसे तो मई से शुरू कर दिया है, लेकिन अभी छोटी साइज की बना रहे हैं। सिर्फ होलकर राजवंश और जमींदार परिवार के लिए 4 फीट तक की मूर्ति बना रहे हैं। इंदौर में 200 से ज्यादा मूर्तिकार परिवार हैं, जो हर साल 10 से 11 हजार गणेशजी की मूर्तियां बनाने का काम करते हैं।
जुलाई के बाद विशेष ऑर्डर पर तैयार करते, एक भी ऑर्डर नहीं मिला
रानीपुरा में करीब 30 साल से मूर्तियां बनाने वाले नीरज पाल ने बताया कि हर साल वे 1 हजार से ज्यादा बड़ी व छोटी मूर्तियां पंडालों के लिए बनाते आ रहे हैं, लेकिन अभी छोटी मूर्तियां ही तैयार की जा रही हैं। जवाहर मार्ग के यहां मूर्ति बनाने वाले चंद्रकेश्वर ने बताया कि वे हर बार मई से ही मूर्तियां बनाने का काम शुरू कर देते हैं। जुलाई तक सारी मूर्तियां तैयार हो जाती हैं। इसके बाद ज्यादा ऊंचाई वाली मूर्तियां बनाते हैं, लेकिन इस बार ऑर्डर ही नहीं मिले।
एडवांस ऑर्डर न मिलने के कारण बंगाल से कारीगर भी कम ही बुलाए
कनाड़िया रोड पर ऊंची मूर्ति बनाने वाले चंद्रनाथ पाल कहते हैं कि एक माह पहले मूर्ति बनाना शुरू किया है। हर साल 200 से ज्यादा बनाते हैं, लेकिन इस साल सिर्फ 60 मूर्ति ही बना रहे हैं। एडवांस ऑर्डर नहीं मिलने से बंगाल से कारीगर भी बहुत कम आए हैं। गाइडलाइन जारी नहीं होने के कारण हम अभी चार फीट की मूर्ति ही बना रहे हैं।
बड़ी मूर्तियों पर असमंजस, कारीगर भी छोटी मूर्तियां बनाने वाले आए
बंगाली चौराहे के नजदीक बंगाल के 40 से ज्यादा मूर्तिकारों द्वारा बड़ी मात्रा में मूर्तियां तैयार की जाती हैं। 28 सालों से शहर के साथ बाहर के ऑर्डर लेने वाले संदीप पाल कहते हैं कि उनके पास हर साल 40 से 45 बंगाली कारीगर मूर्ति बनाने का काम करते हैं, लेकिन इस साल गिने चुने ही कारीगर आए हैं। वे भी छोटी मूर्तियां बनाने वाले हैं।
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