मेमर्स श्रीराम बिल्डर्स के शशिभूषण खंडेलवाल द्वारा खजराना में न्यायनगर संस्था की जमीन खुद की बताकर नगर निगम से ली गई भवन मंजूरी निरस्त हो गई है। करीब 100 करोड़ की कुल 3.194 हेक्टेयर जमीन पर फरवरी 2021 में ही बिल्डिंग परमिशन निगम की तरफ से जारी की गई थी। खंडेलवाल द्वारा सर्वे नंबर 66/2 रकबा 0.720 हेक्टेयर, सर्वे क्रमांक 73/4/2, 74, 75/3 रकबा 1.237 हेक्टेयर एवं सर्वे क्रमांक 83/2, 84/2 रकबा 1.237 हेक्टेयर भूमि पर भवन मंजूरी ली थी।
इसमें से न्याय नगर संस्था के 136 पीड़ितों को मिलने वाले प्लॉटों की जमीन को भी शामिल कर लिया गया था। मामला सामने आने के बाद नगर निगम द्वारा इसकी जांच कराई गई और श्रीराम बिल्डर्स को नोटिस दिया गया। शेष | पेज 7 पर ग्रुप द्वारा जमीन खुद की होने संबंधी जो दस्तावेज पेश किए गए जब इसकी जांच की गई तो सामने आया कि सर्वे नंबर 66/2, 73/4/2, 74, 75/3, 83/2, 84/2 इनके स्वामित्व की जमीन नहीं है।
न्याय नगर संस्था द्वारा जमीन बेचने संबंधी दस्तावेज असत्य एवं कूटरचित होने से अवैध एवं शून्य है। जांच के बाद निगमायुक्त प्रतिभा पाल द्वारा भवन मंजूरी निरस्त करने के आदेश दिए गए और मंजूरी निरस्त कर दी गई।
यह है मामला-
न्यायनगर के ए सेक्टर की जमीन खंडेलवाल ने खरीदी थी, इसके लिए सहकारिता विभाग से शर्तों के साथ संस्था को जमीन बेचने की मंजूरी मिली थी। इसमें शर्त थी कि पारदर्शी प्रक्रिया से यह जमीन ग्रुप द्वारा बेची जाएगी और जो राशि मिलेगी वह संस्था के सदस्यों के खाते में जाएगी। लेकिन शर्तों का उल्लंघन किया गया।
भूमाफिया अभियान के तहत जिला प्रशासन ने जांच में यह जमीन गलत बिकना पाया, सहकारिता विभाग ने जमीन बिक्री की मंजूरी निरस्त कर दी, यानी जो जमीन बिकी वह स्वत: संस्था की हो गई। हालांकि इसे लेकर खंडेलवाल ने कोर्ट में याचिका दायर की हुई है, लेकिन जब जमीन बिल्डर्स की नहीं पाई गई तो निगम ने भी भवन मंजूरी निरस्त कर दी।
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