इंदौर की रहने वाली इंटरनेशनल डांसर रूपाली पर 18 सितंबर 2018 को एसिड अटैक हुआ था। उनको अपनी दाईं आंख गंवाना पड़ी। 2019 में बाईं आंख की भी रोशनी चली गई। इस आंख के 4 ऑपरेशन हो चुके हैं। दो और होना हैं। इंदौर के विनायक हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने 75 हजार का खर्च बताया है। जल्द ऑपरेशन नहीं हुए तो यह आंख भी गंवाना पड़ जाएगी। सीधे शब्दों में कहें तो रूपाली अंधी हो जाएगी। रूपाली और उनके परिजन मदद के इंतजार में हैं। रूपाली को मदद की दरकार है।
तीन साल पहले सिरफिरे ने मेरे चेहरे पर एसिड फेंका था। दोनों आंखें झुलस गई थीं। तमाम मुश्किलों का सामना करने के बाद मुझे एक आंख के ऑपरेशन के लिए अलग-अलग दौर में 5 लाख रुपए की मदद मिली। आर्टिफिशियल आंख लगाई गई। इसके बाद दूसरी आंख से भी दिखना कम हो गया। इसके बाद तो मेरा रूप भी बदल गया है। अब दूसरी आंख के दो ऑपरेशन होना हैं। मेरे गरीब परिवार की इतनी गुंजाइश नहीं है कि वे मेरा महंगा इलाज करा सकें।
मैं और मेरा परिवार सांसद शंकर लालवानी और कलेक्टर मनीषसिंह से ऑपरेशन में मदद करने के लिए गुहार कर चुके हैं। अब तो कोरोना भी कंट्रोल में है। क्या मेरी गुहार कोई सुनेगा? क्या मैं अब एक आंख से ही सही, दुनिया देख सकूंगी? क्या जिम्मेदार मेरी आवाज सुनेंगे? कोई मुझे यह तो बताए कि आखिर मेरा कसूर क्या है?
'मेरा डांस ग्रुप इंडिया गॉट टैलेंट का विनर रहा'
कितनी अच्छी थी मेरी दुनिया। छोटे से परिवार में पापा-मम्मी, हम दो बहनें और छोटा भाई हैं। मैं और मेरी छोटी बहन घटना के दो साल पहले से श्री सांवरियाजी डांस ग्रुप (रंगीला राजस्थान) से जुड़े थे। हमारे इस ग्रुप ने तमाम शहरों और राज्यों में शो किए। आठ अवॉर्ड भी जीते। इंडिया गॉट टैलेंट के सीजन-3 में विनर भी रहे। लंदन में भी प्रोग्राम किए हैं। अब मेरी जिंदगी में अंधेरा छा चुका है।
'मेरी सिखाई बच्ची सुपर डांस की विनर रही'
गुरु मदनलाल सोलंकी से डांस सीखा। लगभग हर डांस में मैं श्रीकृष्ण की भूमिका में रही। बहन राधा बनती है। वह राजस्थान लोकनृत्य भी करती है। मेरा मन श्रीकृष्ण की भूमिका में काफी चंचल और खुश रहता था। मैं एक्ट्रेस कंचन के एलबम में भी काम कर रही थी। मैं ही हूं जिसने सुपर डांस सीजन-2 के लिए अपनी जूनियर अंजलि पटेल को सिखाकर तैयार किया था। वह विजेता रही थी। विडम्बना यह कि मेरा व छोटी बहन का फरवरी 2019 में अमेरिका में भी प्रोग्राम था, लेकिन उस सिरफिरे ने मेरे सामने सपने चूर-चूर कर दिए।
'5 महीने ठोकर खाने के बाद मिले 5 लाख'
वो 18 सितम्बर 2018 की दोपहर थी। घर जा रही थी। सोनू सेन ने चेहरे पर एसिड फेंक दिया। मैं कुछ समझ पाती, तब तक वह भाग चुका था। मेरा इलाज इंदौर में चला और फिर हैदराबाद में। दाईं आंख से पूरी तरह दिखना बंद हो गया। पहले सिर्फ डेढ़ लाख की मदद मिली। बाकी पैसे हाईकोर्ट के आदेश के 5 महीने बाद भी नहीं मिले। एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान के जरिए हाईकोर्ट में बात रखी। कोर्ट में ट्रैजरी अधिकारी तलब हुए, इसके बाद मेरा एक लाख का चेक कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष से भी एक-एक लाख रुपए की मदद मिली। इलाज और जीवनयापन के लिए 5 लाख रुपए मिले, लेकिन जीवन में अंधकार तो फिर भी है।
'दूसरी आंख बचाने को ऑपरेशन जरूरी'
दूसरी आंख से भी दिखना बंद हुआ तो 2019 में जिला अस्पताल के डॉ. कमला आर्य ने जांच की। पता चला कि अब दूसरी आंख में रोशनी नहीं है। इसके भी चार ऑपरेशन हो चुके हैं। विनायका हॉस्पिटल इंदौर में दो ऑपरेशन और किए जाने हैं। मुझे बताया गया है कि अगर दूसरी आंख बचाना है तो दोनों ऑपरेशन जरूरी हैं।
मेरी जानकारी में नहीं मामला, मदद करेंगे
मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। न ही पीड़िता के परिजन की कभी मुझसे मुलाकात हुई, लेकिन मामला गंभीर है। अभी दिल्ली में हूं। शनिवार को मामले को प्राथमिकता से लेकर हरसंभव की जाएगी।
- शंकर लालवानी, सांसद
एसिड विक्टिम को इतना मिलता है मुआवजा
एसिड अटैक के मामलों में नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी मुआवजा राशि सात लाख रुपए है। इस राशि को नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ने तय किया है। पीड़ित को कम से कम पांच या सात लाख रुपए दिए जाते हैं।
प्रधानमंत्री राहत कोष से भी मिलता है मुआवजा
एसिड अटैक विक्टिम को प्रधानमंत्री राहत कोष से भी एक लाख रुपए का मुआवजा मिलता है। विक्टिम को सरकार द्वारा निर्धारित पीड़ित प्रतिकर के 3 लाख रुपए के अलावा प्रधानमंत्री की राहत कोष से एक लाख रुपए का मुआवजा लेने का भी हक है। यह योजना 9 नवंबर 2016 में शुरू हुई है।
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