- पड़ोसी जिलों के सिपाही दस साल की नौकरी में हेड कांस्टेबल बने, यहां 16 साल से कांस्टेबल ही
इंदौर पुलिस के सिपाही 16 साल की नौकरी करने के बाद भी प्रमोट नहीं हो पाए, जबकि पड़ोसी जिलों बड़वानी, धार, उज्जैन, रतलाम, आगर से 10 साल पहले आए सिपाही हेड कांस्टेबल बन गए। 2005 से 2008 तक की जॉइनिंग वाले करीब 800 सिपाही ऐसे हैं, जिनका प्रमोशन नहीं हो पा रहा है, जबकि शहर में हेड कांस्टेबल की 230 पोस्ट खाली हैं। हालांकि कुछ दिनों पहले डीआईजी मनीष कपूरिया ने 345 फिट सिपाहियों की लिस्ट पर साइन किए हैं, लेकिन लिस्ट अब तक जारी नहीं की गई।
कुछ सिपाहियों की जांच, इसलिए रुका है प्रमोशन
सिपाहियों ने बताया प्रमोशन को लेकर जब भी अफसरों से बात करो तो कहते हैं कि कुछ की जांच चल रही है, इसलिए प्रमोशन रुका है, होना यह चाहिए कि जिनकी जांच चल रही है, उन्हें छोड़ बाकी की लिस्ट जारी कर देना चाहिए। ऐसा दूसरे जिलों में भी हुआ है। जिनकी जांच चल रही, उनके नाम पर सहमति नहीं दी, बाकी को प्रमोट कर दिया गया है।
यहां से दूसरे जिलों में गए तो हेड कांस्टेबल बन गए
सिपाहियों ने बताया इंदौर में काम भी बहुत ज्यादा है। थानों के कामों के अलावा कई ऐसी जगहों पर ड्यूटी लगाई जाती है, जहां दूसरे जिलों के सिपाही मुक्त रहते हैं। सिपाहियों ने बताया कि शहर से ऐसे 10-15 सिपाही भी थे जो प्रमोशन लिस्ट के कारण अपना ट्रांसफर पिछले साल दूसरे जिलों में करा ले गए। वे अब हेड कांस्टेबल बन गए हैं।
पारदर्शिता के कारण स्क्रूटनी में टाइम लग रहा
यह सच है कि प्रमोशन लिस्ट में टाइम लग रहा है, लेकिन जल्द ही इसे जारी कर देंगे। हमारे यहां 5 हजार सिपाही हैं। सबकी स्क्र्ूटनी कर रहे हैं। यदि किसी को गलत प्रमोशन मिल गया तो गड़बड़ होगी। - अरविंद तिवारी, एसपी, हेडक्वार्टर इंदौर
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