मेट्रो ट्रेन को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। टीम ने आगे की तैयारियां को लेकर भी काम शुरू कर चुकी है। लाइन के साथ सभी स्टेशन बनाने के टेंडर हो चुके हैं। इसके अलावा डीपो बनाने के भी टेंडर हो चुके हैं। डीपो सहित कुछ जगह पर जमीन के इश्यू थे, वह अब सॉल्व हो चुके हैं। यह बात निगम आयुक्त प्रतिभा ने इंदौर मेट्रों को लेकर कही। उन्होंने कहा कि 20 अगस्त के बाद मेट्रो के एक साथ कई प्रोजेक्ट का काम शुरू हो जाएगा।
14 सितंबर 2019 को शुरू हुए 31.55 किलोमीटर के इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट को वर्ष 2023 में पूरा करने का दावा किया गया था। कंसल्टेंट और कॉन्ट्रैक्टर विवाद के चलते दो साल में एक प्रतिशत काम भी नहीं हो सका। अब प्रोजेक्ट की नई डेडलाइन 2025 तय कर दी गई है। इसे लेकर जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के भोपाल में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से मिलने के बाद अब तीसरी बार इंदौर मेट्रो का काम फिर से शुरू हुआ है।
पाइलिंग मशीनों के आने के बाद अब बचे हुए 162 पिलरों की पाइलिंग का काम शुरू होगा। इंदौर मेट्रो का काम फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन लगातार काम बंद रहने से दो साल की समय सीमा और बढ़ा दी गई है। 2023 तक अब सिर्फ प्रायोरिटी कॉरिडोर को ही पूरा करने का लक्ष्य है। कंसल्टेंट और कॉन्ट्रैक्टर विवाद अब सुलझ चुका है।
प्रोजेक्ट : 31.55 में से 24 किमी में बनना है एलिवेटेड ट्रैक
- 31.55 किमी कुल ट्रैक
- 24 किमी में एलिवेटेड ट्रैक
- 7.48 किमी का अंडरग्राउंड ट्रैक
- 29 जगह बनेंगे मेट्रो स्टेशन
- 7500.8 करोड़ कुल लागत
- 50:50 खर्च केंद्र और राज्य सरकार के
- 440 करोड़ का काम पीपीपी मोड पर
तीन हिस्से में अलग-अलग होगा काम
- दिसंबर 2023 तक (16.19 किमी) : गांधीनगर से मुमताज बाग येलो लाइन का काम होगा।
- अप्रैल 2024 तक (7.24 किमी) : मुमताज बाग से रेलवे स्टेशन का काम होगा।
- मई 2025 तक (8.12 किमी) : गांधीनगर से रेलवे स्टेशन तक का काम होगा।
दो बार पहले शुरू होकर बंद हो चुका काम
- पहली बार : 14 सितंबर 2019
- जनरल कंसल्टेंट और कॉन्ट्रैक्टर में विवाद से काम रुका।
- दूसरी बार : 6 जनवरी 2021
- जनरल कंसल्टेंट ने डिजाइन अटकाकर काम रुकवाया।
- तीसरी बार : 31 जुलाई 2021
- अब दावा- बिना रुकावट तेजी से चलेगा काम।
50 करोड़ से होगी बिजली शिफ्टिंग
विद्युत रिसीविंग और फूड डिस्ट्रीब्यूशन वितरण के डिजाइन कंसल्टेंसी सेवा के लिए 5.99 करोड़ के अनुबंध हो चुके हैं। इसी के साथ अंडरग्राउंड स्टेशन, टनल्स, डिपो के लिए जिओ टेक्निकल इन्वेस्टिंग स्टडी के लिए भी अनुबंध हो चुके हैं।
181 में से 19 पिलर की ही पाइलिंग हो सकी, पिलर एक भी तैयार नहीं
पहले फेज में 5.29 किमी में 181 पिलर तैयार करना है। इनमें सिर्फ 19 पिलर की ही पाइलिंग हो सकी है। कंपनी के सुपर कॉरिडोर स्थित यार्ड में 250 गर्डर बनकर तैयार हैं।
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