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शुभ संयोग:भानु सप्तमी रविवार को; 4 साल बाद सूर्य पूजा का विशेष योग, इसके बाद 2024 में बनेगा

 

  • सावन महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी, रविवार को होने पर इस दिन की गई सूर्य पूजा से दूर होती हैं परेशानियां

सावन महीने में सूर्य पूजा का अपना महत्व है। ग्रंथों के मुताबिक इस महीने सूर्य को पर्जन्य रूप में पूजना चाहिए। रविवार को सप्तमी तिथि होने से भानु सप्तमी का योग बनता है, लेकिन सावन में ऐसा संयोग कम ही बनता है।

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस बार ये योग 15 अगस्त, रविवार को बन रहा है। इससे पहले 30 जुलाई 2017 को ऐसा हुआ था जब रविवार को सावन महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी थी। अब 3 साला बाद 11 अगस्त 2024 में ऐसी स्थिति बनेगी।

उगते सूरज को अर्घ्य दें और बिना नमक का व्रत रखें
पूजा विधि: सूर्योदय से पहले नहाने के बाद तांबे के लोटे में शुद्धजल भर लें। उसके साथ ही लोटे में लाल चंदन, लाल फूल, चावल और कुछ गेहूं के दाने भी डाल लें। ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र बोलें और उगते हुए सूरज को इस लोटे का जल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान भास्कर को नमस्कार करें। गायत्री मंत्र का जाप करें और हो सके तो आदित्य हृदय स्तोत्र का भी पाठ करें। इसके अलावा भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप भी कर सकते हैं।

व्रत विधि: सूर्य के सामने बैठकर दिनभर बिना नमक का व्रत करने का संकल्प लें। संभव हो तो पूरे दिन तांबे के बर्तन का पानी पीएं। पूरे दिन व्रत रखें और फलाहर में नमक न खाएं। एक समय भोजन करें तो उसमें भी नमक का इस्तेमाल न करें। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धानुसार भोजन, वस्त्र या कोई भी उपयोगी वस्तु दान करें। गाय को चारा खिलाएं और अन्य पशु-पक्षियों को भी खाने की कोई वस्तु खिलाएं।

दूर होती हैं बीमारियां
भानु सप्तमी पर सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है और मानसिक शांति मिलती है और वह व्यक्ति कभी भी अंधा ,दरिद्र, दुखी नहीं रहता। सूर्य की पूजा करने से मनुष्य के सब रोग दूर हो जाते हैं। भानु सप्तमी के दिन दान करने से पुण्य बढ़ता है और लक्ष्मीजी भी प्रसन्न होती हैं। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह व्रत करने से पिता और पुत्र में प्रेम बना रहता है। इस दिन सामर्थ्य के अनुसार गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।

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