- सालो की जमा पूंजी से बनाए थे मकान, सड़क चौड़ीकरण में तोड़ते वक्त त्योहार तक मनाने का मौका नहीं दिया
स्मार्ट सिटी के नाम पर छह साल पहले मध्य शहर में करीब पांच हजार घरों, दुकानों के बाधक हिस्से तोड़े गए, लेकिन इसके एवज में पीड़ित परिवारों को आज तक टीडीआर नहीं मिला है। 2016 में पहली बार बियाबानी से महूनाका तक और फिर बड़ा गणपति से राजमोहल्ला तक सड़क के दोनों ओर मकान-दुकानों को तोड़ा गया।
इन दो सड़कों के रहवासियों को 2019 में 15 अगस्त काे टीडीआर सर्टिफिकेट देने की घोषणा की गई, लेकिन 2021 का 15 अगस्त भी टीडीआर के इंतजार में निकल गया। निगम यह पत्र अब तक नहीं दे पाया है। 2019 में तो बजट में इसकी घोषणा भी की गई थी। दावा यह था कि अभी प्रिंटिंग प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे। बाद में इनका सॉफ्टवेयर बनेगा, जिसमें प्रत्येक रहवासी का अकाउंट होगा।
इन क्षेत्रों में निगम ने तोड़े थे मकान
- कनाड़िया रोड पर पत्रकार कॉलोनी चौराहे से बंगाली चौराहा और होलकर प्रतिमा तक।
- महूनाका से बियाबानी होते हुए मालगंज, टोरी कॉर्नर।
- बड़ा गणपति से राजमोहल्ला और व्यास ब्रिज से जिंसी चौराहे तक।
- गंगवाल बस स्टैंड से सरवटे बस स्टैंड के बीच।
- जंजीरावाला से मालवा मिल।
1. बड़ा गणपति से राजमोहल्ला सड़क। चार साल पहले राकेश वर्मा का 69-रानी प्लाजा नाम का 22 बाय 50 का मकान अब 22 बाय 12 फीट बचा है। मकान तो टूटा, इस बीच पहले पिता कन्हैयालाल वर्मा फिर मां भी गुजर गई। चार भाई थे। पूरा परिवार बिखर गया। 2. बियाबानी निवासी रामचंद्र सोनी का भी मकान टूटा। निगम से समय भी मांगा था कि हम खुद तोड़ लेंगे, लेकिन निगम वालों ने नहीं सुनी। कहा- आपको आपकी संपत्ति का पूरा फायदा मिलेगा। आप टीडीआर बेच सकोगे, चाहो तो खुद भी अनुमति से ज्यादा बड़ा बना सकोगे। 3. बड़ा गणपति पर मकान नं. 65 में रहने वाले शेषनारायण द्विवेदी का भी गैराज था। मकान तोड़े जाने के बाद 12 फीट जगह ही लंबाई में बची, अब वहां गाड़ी भी खड़ी नहीं हाे सकती। 25 से ज्यादा लोगों का परिवार था। मकान टूटा तो परिवार को अलग होना पड़ा।
टीडीआर क्या और कैसे मिलता है इसका फायदा
सड़क या किसी सार्वजनिक काम में किसी के वैध मकान या दुकान का कोई हिस्सा तोड़ा जाता है तो सरकार और संबंधित निकाय पीड़ित को ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) सर्टिफिकेट देते हैं। इसकी कीमत संपत्ति की कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से होती है। जैसे किसी का हजार वर्गफीट का हिस्सा सड़क निर्माण में चला गया। अब यदि पीड़ित के पास मौके पर ही जमीन है तो वह दो हजार वर्गफीट अतिरिक्त निर्माण कर सकेगा।
राज्य शासन से नोटिफिकेशन आना है
- प्रस्ताव राज्य शासन के पास है। वहां से गजट नोटिफिकेशन होते ही जारी कर देंगे। नोटिफिकेशन का प्रारूप आया था। उसमें कुछ तकनीकी दिक्कतें थीं। अब वे दूर हो गई हैं। अब एक महीने में नोटिफिकेशन हो जाएगा। - डीआर लोधी, अधीक्षण यंत्री, स्मार्ट सिटी
सीएम को मामले से अवगत कराया है
- मुख्यमंत्री को अवगत कराया है। नगरीय प्रशासन मंत्री से भी बात की है। उन्हें कहा है अब टीडीआर सर्टिफिकेट जल्द से जल्द दिए जाएं। सरकार के स्तर पर प्रयास जारी हैं। उम्मीद है जल्द ही यह वितरित किए जाएंगे। - मालिनी गौड़, विधायक और पूर्व महापौर
0 टिप्पणियाँ