मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की मंगलवार को दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात हुई। कयास लगाए जा रहे थे कि मध्य प्रदेश में उपचुनाव को लेकर यह मुलाकात हुई है। कमलनाथ ने बाद में साफ कर दिया कि यह बैठक पंजाब सहित 5 राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी व संगठन के मुद्दों पर को लेकर हुई है। मध्य प्रदेश में 1 लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि राहुल गांधी उपचुनाव के मामलों में नहीं पड़ते हैं। यह पूरी तरह से स्थानीय होता है।
उपचुनाव से पहले सक्रिय हैं अरुण यादव
कमलनाथ के इस बयान से यह भी साफ हो गया कि खंडवा सीट पर उम्मीदवार चयन को लेकर हाईकमान का दखल नहीं रहेगा। दरअसल, पूर्व PCC चीफ अरुण यादव की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई है। यादव पिछले कई दिनों से खंडवा लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय है। जबकि कमलनाथ ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही टिकट दिया जाएगा। पिछले सप्ताह भी उप चुनाव को लेकर कमलनाथ ने बैठक बुलाई थी, इसमें अरुण यादव के शामिल नहीं होने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। जबकि इस बैठक में प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक दिल्ली से भोपाल शामिल होने आए थे।
कांग्रेस ने बिना नहीं बन सकता तीसरा मोर्चा
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, कमलनाथ इस बैठक के बाद से ही दिल्ली प्रवास पर हैं। उन्होंने मंगलवार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ बैठक की है। इससे पहले उन्होंने 15 जुलाई को फिर 27 जुलाई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। मंगलवार को राहुल गांधी ने विपक्ष के नेताओं के साथ नाश्ते पर बैठक की थी। इसके बाद कमलनाथ, राहुल गांधी से मिलने गए थे। कमलनाथ ने कहा कि विपक्ष की राहुल गांधी के साथ नाश्ते पर बैठक ने यह साबित कर दिया है कि बिना कांग्रेस के कोई भाजपा के खिलाफ फ्रंट नही बन सकता है। उन्होंने कहा कि दबाव की बात नहीं, आज जनता का ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है। देश का हर वर्ग पीड़ित है। किसान, नौजवान, छोटे व्यापारी आर्थिक मंदी से चौपट हो गए हैं।
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