सुप्रीम कोर्ट के वकील और भाजपा के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय और पांच अन्य लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर में लिया है। इन पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर रविवार को हुए एक विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम विरोधी नारे लगाने का आरोप है।
उपाध्याय के अलावा विनोद शर्मा, दीपक सिंह, दीपक, विनीत क्रांति और प्रीत सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि इन सब के खिलाफ इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 153A और 188 के तहत केस दर्ज किया गया है।
मंगलवार सुबह तक हुई पूछताछ दिल्ली पुलिस ने उपाध्याय समेत सभी आरोपियों से मंगलवार सुबह तक पूछताछ की। पुलिस ने उपाध्याय को सोमवार रात कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में आने का समन भेजा था। कुछ अन्य संदिग्धों को हिरासत में लेने के लिए शहर में छापेमारी की जा रही है।
प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ
सोमवार को सोशल मीडिया पर इस विरोध प्रदर्शन का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने एक्शन लिया। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर जमा भीड़ 'राम-राम' और 'हिन्दुस्तान में रहना होगा, जय श्री राम कहना होगा' के नारे लगा रही है।
बिना पुलिस की अनुमति के हुई थी रैली
पुलिस ने बताया कि कोरोना के चलते उन्होंने इस रैली की अनुमति नहीं दी थी, फिर भी भीड़ वहां जमा हुई। इस दौरान कोई पुलिसवाला वहां मौजूद नहीं था। भड़काऊ भाषणों के लिए के लिए चर्चित पंडित नरसिंहानंद सरस्वती और टीवी अभिनेता और भाजपा नेता गजेंद्र चौहान भी इस प्रदर्शन का हिस्सा थे।
अश्विनी उपाध्याय ने आरोपों से इनकार किया
एक बयान में अश्विनी उपाध्याय ने कहा, 'रैली सेव इंडिया फाउंडेशन ने की थी। इस संस्था से मेरा कोई संबंध नहीं है। मैं वहां पर आरवीएस मणि, फिरोज बख्त अहमद और गजेंद्र चौहान की तरह मेहमान के तौर पर गया था। हम वहां 11 बजे पहुंचे और 12 बजे निकल आए। नारे लगाने वालों से मैं नहीं मिला। मैं सुबह आपसे मिलकर अपना लिखित बयान देने को तैयार हूं।'
इससे पहले उन्होंने मीडिया से कहा था कि वे इन वीडियो के बारे में नहीं जानते हैं। यह सब जब हुआ तो न तो मैं वहां था, न मुझे इसकी जानकारी थी और न मैंने इन लोगों को बुलाया था। यह सब मेरे जाने के बाद हुआ होगा। वीडियो में नजर आने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सिर्फ 5-6 लोगों ने ये नारे लगाए थे, वो भी जब तब रेली खत्म हो गई थी। हालांकि, ऐसे नारे नहीं लगने चाहिए थे।
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