केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की इंदौर की जन आशीर्वाद ऐतिहासिक रही और करीब 6 घंटे से ज्यादा समय तक शहर के पांच विधानसभा क्षेत्रों से होते हुए शाम 6.30 बजे खजराना मंदिर पहुंची जहां यात्रा का समापन हुआ।
खास बात यह कि इस दौरान यात्रा जहां-जहां से गुजरी वहां से जुड़े हर मार्गों पर जाम लग गया और वाहन गुत्थम-गुत्था होते रहे व उन्हें गंतव्य तक पहंुचने में घंटों लग गए। दूसरी ओर यात्रा के कोरोना प्रोटोकॉल की जमकर धज्जियां उड़ी। करीब 30 किमी मार्ग यात्रा में 1 हजार से ज्यादा स्वागत मंच लगे थे। यहां तो सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता तो थे ही, सिंधिया के रथ के आगे-पीछे भी भीड़ का हुजूम लगा रहा।
इनमें आधे से ज्यादा बिना मास्क के देखे गए जबकि सोशल डिस्टेसिंग नाम की कोई चीज थी नहीं थी। सिर्फ पुलिस-प्रशासन का महकमा पूरे समय मास्क पहने दिखा जबकि भाजपाई और यात्रा को देखने आए लोग तो मानो कोरोना प्रोटोकॉल ही भूल गए थे। मशक्कत के बाद कोरोना महामारी को नियंत्रण करने वाला जिला प्रशासन इस मामले में पूरी तरह बेबस नजर आया।
जन आशीर्वाद यात्रा शुरू होने के पहले प्रेस कांफ्रेंस में सिंधिया ने कहा कि यात्रा के दौरान हमारे लिए मास्क ढाल है और टीका तलवार। इसके साथ ही हर स्वागत मंच पर 100-150 लोगों की ही उपस्थिति की इजाजत की बात कही थी लेकिन 10 मिनिट बाद जैसे उन्होंने जीपीओ चौराहा से जनआशीर्वाद यात्रा शुरू की तो उनके रथ पर नेताओं का जमावड़ा लग गया।
इनमें सांसद शंकर लालवानी, मंत्री तुलसी सिलावट, िवधायक आकाश विजयवर्गीय, गोलू शुक्ला सहित कई नेता थे जिनमें से कइयों को नीचे उतरने के लिए आग्रह किया। फिर संयोगितागंज थाने के सामने लगे पहले स्वागत मंच तक उनका रथ पहुंचा तो स्टेज पर तो भीड़ थी ही, रथ के आगे-पीछे भी सैकड़ों कार्यकर्ता थे और पैर रखने तक की जगह नहीं थी। सिलावट लोगों से इशारों से आग्रह करते रहे लेकिन कार्यकर्ता उनके ठीक पास जाकर स्वागत की आपाधापी में रहे और यहीं से फिर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़नी शुरू हो गई।
स्वागत मंच से कूदकर रथ तक पहुंचे नेताओं के खास
हजारों की भीड़ के बावजूद नेता समर्थक मानने को तैयार नहीं थे। जैसे ही रथ किसी मंच तक जाता तो नेता समर्थक भारी भरकम हार लेकर मंच से सिंधिया के रथ तक चढ़ने लगे और उनका हार पहनाकर न केवल स्वागत किया बल्कि सटकर अपने साथियों के माध्यम से फोटो लेते रहे। बड़े हार के बीच सिंधिया, सिलावट व विजयवर्गीय और उनसे सटकर खुद समर्थक, ऐसी स्थितियां भी बनी।
इधर, सड़क पर हजारों लोगों के बीच पुलिस अधिकारी व पुलिसकर्मी लोगों को दूर करते रहे लेकिन लाउड स्पीकरों के शोर शराबों व समर्थकों की मनमानी के कारण वे असहाय हो गए। यह भीड़भाड़ नवलखा स्थित जगन्नाथ स्कूल तक रही। इस बीच सिंधिया आकाश विजयवर्गीय के आग्रह पर स्कूल में लगे एक मंच पर गए और इस बीच रिमझिम बारिश शुरू हो गई तो लोग तितर-बितर हो गए लेिकन जैसे ही सिंधिया बाहर आ तो फिर हजारों की भीड़ जुट गई।
रस्सी का घेरा भी बेअसर
सपना-संगीता रोड पर सिंधिया के सुरक्षाकर्मियों ने भीड़ व कोरोना के चलते उनके रथ के आगे-पीछे दोनों ओर से मोटी रस्सी का घेरा बना लिया ताकि लोग सड़कों पर न आए तो भी लोग रस्सी के नीचे से आ गए और यह सिलसिला चलता रहा। इसके बाद विधानसभा 4, 1 और 2 में ऐसा ही सिलसिला चलता रहा। विधायक रमेश मेंदोला के विधानसभा 2 में भले ही सिंधिया का सबसे जोरदार स्वागत हुआ हो, लेकिन यहां मार्ग के दोनों ओर महिलाएं व बच्चे सबसे ज्यादा और खड़े होने तक के लिए जगह नहीं थी।
स्वागत मंचों पर सबसे ज्यादा भीड़ भी यहीं रही। यहां तो सोशल डिस्टेसिंग मानो गायब ही हो गई थी। इसके बाद विधानसभा 5 में यात्रा के प्रवेश करते ही गति इतनी तेज कर दी गई कि सिंधिया का रथ से मंच से 5 फीट दूर से गुजरता रहा और समर्थक पीछे भागते रहे जिसके चलते दूरियां जरूर रही लेकिन यहां भी अधिकांश लोग मास्क नहीं पहने थे।
इन क्षेत्रों में लगा सबसे ज्यादा जाम
यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा जाम उन स्थानों पर लगा जहां कई मार्ग जुड़े हैं और इसका असर अगले कई चौराहों तक देखा गया। छावनी चौराहा, अग्रसेन चौराहा, टॉवर चौराहा, सिंधी कॉलोनी चौराहा, कलेक्टोरेट, गंगवाल बस स्टैण्ड, बड़ा गणपति, चिकमंगलूर चौराहा, मालवा मिल, सुभाष नगर व पाटनीपुरा में ट्रैफिक जबर्दस्त प्रभावित हुआ। इसका कारण सिंधिया के काफिले में पीछे शामिल 60-70 नेताओं व अधिकारियों की गाडियां। इन्हें एक-एक चौराहा पार करने में 10-12 मिनिट लगे तब तक तो जाम लग गया और सैकडों वाहन फंसे रहे।
यात्रा को लेकर सुलगते सवाल
- कोरोना प्रोटोकॉल को लेकर प्रशासन शुरू से ही गंभीर है। यही कारण है कि लॉकडाउन, कर्फ्यू में एक-एक गतिविधियों को छूट दी गई। अभी तो 8वीं कक्षाओं विद्यार्थियों के स्कूल भी पूरी तरह शुरू नहीं हुए। ऐसे ही विवाह व अन्य समारोहों में 100 से ज्यादा लोगों को अनुमति नहीं है। धार्मिक व सामाजिक आयोजनों व रैलियों पर प्रतिबंध है। ऐसे में क्या ये नियम सिर्फ आमजन के लिए हैं, राजनीतिक पार्टियों के लिए नहीं?
- रक्षा बंधन को मात्र दो दिन बचे हैं। गुरुवार के दिन जो लोग बाजार में राखी की खरीदी के लिए निकले थे, वे बहुत ज्यादा परेशान होकर जाम में फंसे रहे। इसके लिए जिम्मेदार कौन?
- हर बड़ी रैली के दौरान पुलिस-प्रशासन की ओर से पूर्व में ही ट्रैफिक रुट डायवर्शन लेकर मीडिया के माध्यम से जनता को जानकारी दी जाती है, इस बार नहीं दी गई।
- तीन दिन पहले ही एक दिन में 7 पॉजिटिव पाए गए थे। ऐसे में अगर अब संक्रमितों की संख्या बढ़ती है तो इसके लिए जवाबदेह कौन?
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