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सावन का शनिवार भी पर्व:7 अगस्त को भगवान शिव, हनुमान, नृसिंह और शनि पूजा का विशेष संयोग, पुष्य नक्षत्र भी रहेगा इस दिन

 

  • स्कंदपुराण में बताया है कि सावन महीने के शनिवार को शिवजी के साथ भगवान नृसिंह, हनुमानजी और शनिदेव की पूजा से दूर होती है परेशानियां

सावन महीने में सोमवार के अलावा शनिवार को भी पुराणों में बहुत खास बताया है। इस दिन हनुमानजी, शनिदेव और भगवान नृसिंह की पूजा का विधान है। स्कंद पुराण में कहा है कि सावन शनिवार को इन तीन देवताओं की पूजा से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। सावन शनिवार को तेल से हनुमानजी और शनिदेव का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही इस दिन भगवान नृसिंह की विशेष पूजा के बाद ब्राह्मणों को तिल से बना भोजन करवाने से मनोकामना पूरी होती है।

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि 7 अगस्त, शनिवार को पुष्य नक्षत्र भी रहेगा। ये शनि का नक्षत्र होता है। इस शुभ नक्षत्र और वार के संयोग में की गई शनि पूजा का पूरा फल जल्दी ही मिलता है। इस दिन चतुर्दशी तिथि सूर्यास्त तक रहेगी। जिसके स्वामी शिवजी होते हैं। इसलिए इस शुभ योग में शिव पूजा भी विशेष फलदायी रहेगी। इस शनिवार को दिनभर सिद्धि योग भी रहेगा। जिससे इस शुभ संयोग में किए गए कामों में सफलता मिलेगी।

हनुमान पूजा: इस प्रकार श्रावण महीने में शनिवार को हनुमानजी की आराधना करने से हर तरह की बीमारियां दूर हो जाती है। मानसिक और शरीरिक रुप से मजबूती मिलती है। हनुमानजी की कृपा से कामकाज में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। सोचे हुए काम पूरे होने लगते हैं। बुद्धि और वैभव बढ़ता है। शत्रु नष्ट हो जाते हैं और प्रसिद्धि मिलती है।

शनि और शिव पूजा: भगवान शिव, शनिदेव के गुरु हैं। शिवजी ने ही शनिदेव को न्यायाधीश का पद दिया था। जिसके फलस्वरूप शनि देव मनुष्यों को कर्मों के मुताबिक फल देते हैं। इसलिए श्रावण के महीने में भगवान शिव के साथ साथ शनिदेव की उपासना करने से शुभ फल मिलते हैं। भगवान शिव के अवतार पिप्पलाद, भैरव और रुद्रावतार हनुमान जी की पूजा भी शनि के अशुभ असर से रक्षा करती है।​​​​​​​

नृसिंह पूजा: स्कन्दपुराण के मुताबिक सावन के शनिवार को सुबह तिल का उबटन लगाकर नहाना चाहिए। इसके बाद भगवान नृसिंह की विशेष पूजा करनी चाहिए। उड़द दाल से बनी खिचड़ी का नैवेद्य लगाना चाहिए। फिर ब्राह्मणों को भी प्रसाद का भोजन करवा कर दक्षिण देनी चाहिए। ऐसा करने से भगवान नृसिंह प्रसन्न होते हैं। धन और धान्य बढ़ता है। इसके साथ ही हर तरह का सुख भी मिलता है।

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