- पीने और नहाने की समस्या,
जल संसाधन मंत्री मंत्री तुलसी सिलावट के विधानसभा क्षेत्र एक गांव में पिछले 6 से 8 महीने से जल की समस्या बनी हुई है। सांवेर विधानसभा इंदौर जनपद के ग्राम पंचायत असरावद बुजुर्ग की सात मिल इंदिरा आवास बस्ती क्षेत्र के बोरिंग और हैंडपम्प में लाल पानी आ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार ग्राम पंचायत में शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कुछ अधिकारी आते हैं और सांत्वना देकर चले जाते हैं। कुछ नहीं होता है। कांग्रेस नेत्री रीना बोरासी मौके पर पहुंची और ग्रामीणों को सांत्वना देते हुए जल्द इस समस्या को हल करने की बात कही।
150 परिवार की जान जोखिम में
असरावद बुजुर्ग की सात मिल गांव की जनसंख्या लगभग 2 हजार है। जहां पर डेढ़ सौ से अधिक परिवार इस समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ सालों पहले नजदीक में लगी एक चॉकलेट फैक्ट्री से यह पानी अब बोरिंग में आने लगा है, लेकिन जनप्रतिनिधि अब इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। पानी देखकर ग्रामीण पीना तो दूर कपड़े, बर्तन धोने में भी सोचते हैं।
चर्म रोग की समस्या आने लगी है
ग्रामीणों का कहना है कि नेता लोग यहां सिर्फ वोट मांगने आते है। चुनाव के बाद कोई सुध लेने नहीं आता है। लाल पानी से बच्चे, बुजुर्ग समेत सभी में धीरे-धीरे चर्म रोग की समस्या होने लगी है।
समस्या का राजनीतिक रंग
सांवेर विधानसभा क्षेत्र जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट की है। मामला संज्ञान में आते ही कांग्रेस नेत्री रीना बोरासी मौके पर पहुंची और उन्होंने ग्रामीणों को सांत्वना देते हुए जल्द इस समस्या को हल करने की बात कही है। इस दौरान उन्होंने मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जल संसाधन मंत्री को अपने विधानसभा की चिंता नहीं है। वहीं ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव के समय सभी वोट मांगने आते हैं। वर्तमान में सरपंच और सभी लोगों को समस्या से अवगत करा दिया गया है, लेकिन सालभर से कोई भी झांकने तक नहीं आया है।
पारिया जनपद अध्यक्ष विजय लक्ष्मी रामसिंह ने कहा कि इलाके में कुछ चॉकलेट फैक्ट्री खुली हैं। जिसकी शिकायत हमने कलेक्टर, एसडीएम को की है, लेकिन अधिकारी आकर चले जाते हैं, लेकिन समस्या जस की तस है। फैक्ट्रियों द्वारा पानी छोड़ा जा रहा है। जिसके कारण यह पानी लाल हो गया है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय प्रयोगशाला प्रभारी सुखनंदन पाटिल ने कहा कि यदि यह समस्या किसी फैक्ट्री या उद्योग से है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
क्या है नियम
नियम के अनुसार किसी भी फैक्ट्री या उद्योग खोलने से पहले उसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास आती है। जिसमें यह लिखा होता है कि ETP (Effluent Treatment Plant)) या दूषित जल उपचार संयंत्र फैक्ट्री मालिक को उसी फैक्ट्री के अंदर बनाना होगा। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड किसी भी तरह के पानी को उद्योगों के बाहर छोड़ने की अनुमति नहीं देता है। उद्योग मालिक वह फैक्ट्री मालिक को अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यह मेंशन करना पड़ता है कि जो भी दूषित पानी उद्योग से निकलेगा। उसे वह ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए फैक्ट्री के अंदर ही उपयोग करेगा।
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