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इंदौर के मेट्रो प्रोजेक्ट ने पकड़ी गति:बिजली कम्पनी द्वारा बापट चौराहा से विजय नगर चौराहा तक 9 हाईटेंशन टॉवर हटाए,2 महीने पीछे शुरू हाेने वाली भाेपाल मेट्राे का काम 60% पूरा

 

14 सितंबर 2019 को शुरू हुए 31.55 किलोमीटर के इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट को वर्ष 2023 में पूरा करने का दावा किया गया था। कंसल्टेंट और कॉन्ट्रैक्टर विवाद के चलते दो साल में एक प्रतिशत काम भी नहीं हो सका। अब प्रोजेक्ट की नई डेडलाइन 2025 तय कर दी गई है। इस ठप पड़े मेट्रो प्रोजेक्ट में 15 अगस्त के बाद गति दी जाना है। लगातार मेट्रो के बीच आने वाली बाधाओ को संबंधित विभागों द्वारा अब बाधाएं भी हटाई जा रही है। बिजली कम्पनी द्वारा बापट चौराहा से विजय नगर चौराहा तक 132 किलोवॉट की हाईटेंशन लाइन और टॉवरों को भी शिफ्ट किया गया।

कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा हर 15 दिन में प्रोजेक्ट की समीक्षा की जा रही है, जिसके चलते पिछले दिनों बिजली कम्पनी से कहा गया कि वह बापट चौराहा से विजय नगर तक आने वाले 132 किलोवॉट के टॉवर, जिनकी संख्या 9 है उन्हें हटाए। लिहाजा अभी शनिवार की रात को कम्पनी ने टॉवरों को शिफ्ट करने का काम पूरा कर लिया। अब सेंट्रल वर्ज में जो ग्रीन बेल्ट है, उसे भी हटाएंगे।

इंदौर मेट्रो का काम फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन लगातार काम बंद रहने से दो साल की समय सीमा और बढ़ा दी गई है। 2023 तक अब सिर्फ प्रायोरिटी कॉरिडोर को ही पूरा करने का लक्ष्य है। कंसल्टेंट और कॉन्ट्रैक्टर विवाद अब सुलझ चुका है। दावा है, 15 अगस्त के बाद काम तेजी से चलेगा।

प्रोजेक्ट : 31.55 में से 24 किमी में बनना है एलिवेटेड ट्रैक, हकीकत : 1 भी पिलर तैयार नहीं

  • 31.55 किमी कुल ट्रैक
  • 24 किमी में एलिवेटेड ट्रैक
  • 7.48 किमी का अंडरग्राउंड ट्रैक
  • 29 जगह बनेंगे मेट्रो स्टेशन
  • 7500.8 करोड़ कुल लागत
  • 50:50 खर्च केंद्र और राज्य सरकार के
  • 440 करोड़ का काम पीपीपी मोड पर

दो बार पहले शुरू होकर बंद हो चुका काम

  • पहली बार : 14 सितंबर 2019
  • जनरल कंसल्टेंट और कॉन्ट्रैक्टर में विवाद से काम रुका।
  • दूसरी बार : 6 जनवरी 2021
  • जनरल कंसल्टेंट ने डिजाइन अटकाकर काम रुकवाया।
  • तीसरी बार : 31 जुलाई 2021
  • अब दावा- बिना रुकावट तेजी से चलेगा काम।

50 करोड़ से होगी बिजली शिफ्टिंग

विद्युत रिसीविंग और फूड डिस्ट्रीब्यूशन वितरण के डिजाइन कंसल्टेंसी सेवा के लिए 5.99 करोड़ के अनुबंध हो चुके हैं। इसी के साथ अंडरग्राउंड स्टेशन, टनल्स, डिपो के लिए जिओ टेक्निकल इन्वेस्टिंग स्टडी के लिए भी अनुबंध हो चुके हैं।

181 में से 19 पिलर की ही पाइलिंग हो सकी, पिलर एक भी तैयार नहीं

पहले फेज में 5.29 किमी में 181 पिलर तैयार करना है। इनमें सिर्फ 19 पिलर की ही पाइलिंग हो सकी है। कंपनी के सुपर कॉरिडोर स्थित यार्ड में 250 गर्डर बनकर तैयार हैं।

इंदौर से दो माह बाद शुरू हुआ भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट 60% पूरा

इंदौर से दो माह बाद शुरू हुए भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट का काम 60% पूरा हो चुका है। सारे पिलर तैयार होने के साथ ही वहां गर्डर भी अब डाली जा रही है।

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