- शासन से आने वाली मदद से निकल जाता है,डीजल,पेट्रोल और वेतन
नगर निगम के विकास कार्यो दो साल से कोरोना का साया चल रहा है। चार दिन पहले निगम कमिश्नर द्वारा किये गए दौरे में भोपाल की कंपनी द्वारा सड़क निर्माण के काम में इनकार करने से फिर से अफसरो ने इसमें टेंडर जारी करने की बात कही है। इसके पीछे दो सालों में निगम द्वारा कोराना की व्यवस्थाओं में काफी रुपए खर्च किया गया है, लेकिन उसके बदले निगम का खजाना खाली ही रहा है। शासन द्वारा आने वाली मदद से बस निगम का खर्च निकल रहा है।
नगर निगम के विकास कार्य शहर में धीमी गति से चल रहे है। वजह इसके पीछे ठेकेदारों के बकाया रुपए बताए जा रहे हैं। दो सालों में निगम पहले से ज्यादा घाटे में चले गया। इसमें वर्तमान में उबर पाना मुश्किल बताया जा रहा है। अभी निगम के उपर ठेकेदार करीब चार सौ करोड़ से अधिक रुपए बकाया है, लेकिन अभी राजस्व ओर अन्य मदद नहीं मिलने के चलते यह कर्ज ओर बढ़ते जा रहा है।
शासन ने आई हुई मदद से डीजल,पेट्रोल और वेतन
निगम के अधिकारियों की माने तो शासन द्वारा करीब 42 करोड़ रुपए आते है। जिसमें यह राशि बस निगम के अधिकारी और कर्मचारियों के वेतन,गाड़ियों के पेट्रोल और डीजल में चले जाता है। कुछ बची हुई राशि से निगम के खर्च चलाए जाते हैं। फिलहाल अधिकारी जल्द इस घाटे से उबरने की बात कर रहे है, लेकिन इसका असर वर्तमान में चल रहे कामों पर पड़ रहा है।
यहां कछुए की चाल से चल रहा विकास
वर्तमान में सरवटे बस स्टैंड का काम करीब दो सालों से अटका हुआ था। जो अभी धीमें चल रहा है। वही राजबाड़ा का विकास का काम पूर्व कमिश्नर मनीष सिंह के समय से चल रहा है। इसके बाद शहर को दो आयुक्त ओर मिल गए है। इसके साथ ही गंगवाल से महूनाका की सड़क भी अधूरी पड़ी है। मच्छी बाजार के यहां फिर से सड़कों पर कब्जे शुरू हो गए है। वही नर्मदा विभाग के काफी काम भी इसी वजह से रुके हुए है। वर्तमान में बड़े गणपति से कृष्णपुरा छत्री तक डेढ़ किलोमीटर की सड़क का काम पूरा होना है, लेकिन इसमें भी डेढ़ साल से निगम की आर्थिक व्यवस्था की बीच में आ रही है।
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