प्रदेश के तमाम मेडिकल कॉलेज की परीक्षा, मूल्यांकन आदि संचालित करने वाली जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी के फर्जी मार्कशीट घोटाले की जांच कर रही कमेटी की रिपोर्ट से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हाई कोर्ट में जांच अधिकारी द्वारा पेश रिपोर्ट से पता चलता है कि पेपर सेटिंग से लेकर कॉपी जांचने, रीवैल्यूएशन और मार्कशीट जारी करने तक, हर स्तर पर अनियमितताएं हुई हैं।
जांच में आया कि यूनिवर्सिटी कर्मचारियों और माइंड लॉजिक्स कंपनी की मिलीभगत से कई छात्रों के नंबरों में हेरफेर की गई। कई ऐसे छात्रों को भी पास बता दिया, जो परीक्षा में बैठे ही नहीं। यूनिवर्सिटी ने रिजल्ट बनाने वाली कंपनी पर एफआईआर कराने के बजाए सिर्फ ठेका निरस्त किया। कंपनी इसके खिलाफ हाई कोर्ट गई तो यूनिवर्सिटी जवाब पेश नहीं कर रही। जानकार इसे व्यापमं से भी बड़ा घोटाला बता रहे हैं। इससे परीक्षा में फेल कई डॉक्टर, नर्स भी फर्जी डिग्री लेकर इलाज कर रहे हैं।
एफआईआर के बजाय सिर्फ ठेका निरस्त किया, कोर्ट में भी जवाब नहीं दे रहे
आंख मूंद कर दिया ठेका-कंपनी पर पहले भी आगरा में हो चुकी है एफआईआर
यूनिवर्सिटी ने 2018 में प्रश्न पत्र सेटिंग से लेकर मूल्यांकन और परिणाम आदि जारी करने का ठेका माइंड लॉजिक इंफ्राटेक को दिया था। हालांकि कंपनी पर गड़बड़ियों के चलते आगरा में एफआईआर दर्ज थी। पात्र छात्रों को फेल और फेल को पास की मार्कशीट के मामले सामने आए तो प्रभारी रजिस्ट्रार जेके गुप्ता को जांच सौंपी गई। कमेटी में आईटी विशेषज्ञ भी रखे गए। कमेटी द्वारा द्वारा कई बार मांग करने के बावजूद कंपनी अभी तक कम्प्यूटर सर्वर का ‘एसक्यूएल’ डेटा उपलब्ध नहीं करवा रही है। जांच के लिए सिर्फ 8 दिन ही दिए।
गड़बड़ उजागर हुई तो जांच अधिकारी को ब्लैकमेल करने की धमकी भी दी
हाई कोर्ट में पेश दस्तावेजों से कंपनी के प्रोजेक्ट ऑफिसर द्वारा जांच अधिकारी जेके गुप्ता को ब्लैकमेल करने की धमकी देने का खुलासा भी हुआ है। जांच अधिकारी ने 7 जून को पुलिस को शिकायत की थी कि कंपनी के असिस्टेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर सुधीर कुमार द्वारा उन्हें डेटा मांगने पर ब्लैकमेल करने की धमकी दी गई है। सुधीर कुमार ने गलत तरीके से उनके कई ऑडियो, वीडियो रिकॉर्ड किए हैं। अब वह धमकी दे रहा है कि यदि कमेटी ने अनियमितता पकड़ी तो वह ऑडियो, वीडियो जारी कर देगा।
दोषी परीक्षा नियंत्रक का तबादला एक दिन में निरस्त
जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार बताई गई परीक्षा नियंत्रक वृंदा सक्सेना को 18 जून को हटा दिया गया था, लेकिन अगले ही दिन तबादला आदेश निरस्त कर फिर परीक्षा नियंत्रक बना दिया। घोटाले की और परतें खुली तो फिर हटाया।
सीधी बात- विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री
दोषियों पर जल्द एफआईआर होगी
डॉक्टर, नर्स पैसा देकर कैसे पास हो रहे? - यह व्यापमं से खतरनाक घोटाला है। जैसे ही पता चला तत्काल जांच के आदेश दिए। सबूत के बाद भी एफआईआर क्यों नहीं? - जल्द ही एफआईआर करेंगे। सरकार जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगी दोषी का तबादला 24 घंटे में निरस्त कैसे? - अधिकारियों ने गड़बड़ की, पता चलते ही परीक्षा नियंत्रक को वापस हटा दिया। एजेंसी सबूतों से छेड़छाड़ कर सकती है? डेटा नहीं देना वाकई बहुत गंभीर मामला है। जरूरत होगी तो फॉरेंसिक ऑडिट कराएंगे। रजिस्ट्रार को हटाने का आरोप है? - जांच के बीच कमेटी अध्यक्ष को हटाना आश्चर्यजनक है। दोषियों को सजा मिलेगी।
0 टिप्पणियाँ