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फर्जी मार्कशीट घोटाले का मामला:जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी में फेल छात्रों को पास किए जाने के खुलासे के बाद कुलपति टीएन दुबे का इस्तीफा

 

मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (एमपी एमएसयू) जबलपुर में फेल छात्रों को पास किए जाने के खुलासे के बाद कुलपति टीएन दुबे ने इस्तीफा दे दिया है। इसी बीच सामने आए नए दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि विश्वविद्यालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ताक पर रख गैर मान्यता प्राप्त 7 नर्सिंग कॉलेजों की परीक्षा आयोजित कर परिणाम भी जारी कर दिए हैं। एमबीबीएस कोर्स में भी सिर्फ इसी वर्ष रिवैल्युएशन आवेदन देने वाले 50% से ज्यादा छात्रों को पास किया गया।

दूसरी ओर घोटाला सामने आने के बाद सरकारी अधिकारी इसे दबाने की जुगत में लग गए हैं और अपात्र को कुलपति का प्रभार देने की तैयारी चल रही है। गौरतलब है कि परीक्षा एजेंसी माइंड लॉजिक इंफ्राटेक को ब्लैक लिस्ट कर परीक्षा नियंत्रक वृंदा सक्सेना को हटा दिया गया था।
रिवैल्युएशन में 50 प्रतिशत छात्रों को पास कर दिया, तो कहीं बढ़ गए 50 नंबर
दो माह पहले ही आवेदन देने वाले एमबीबीएस के 27 छात्रों में से आधे से ज्यादा को पास कर दिया गया। इसमें 10% से ज्यादा परिणाम बदलने पर तीसरे परीक्षक से कॉपी जांचने का प्रावधान दरकिनार कर दिया। कोर्ट में दी गई जांच रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर के एक नर्सिंग कॉलेज में कई छात्रों के 50 नंबर तक बढ़ गए तो उज्जैन के एक नर्सिंग कॉलेज के सभी छात्र फेल कर दिए गए। सूत्रों की मानें तो कुलपति दुबे के इस्तीफे के बाद अधिकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों की लॉबी किसी कठपुतली को कुलपति पद पर बैठाना चाहते हैं।
इसके पीछे उनका उद्देश्य पुरानी जांच को निरस्त कर फिर से जांच के नाम पर घोटालेबाजों और परीक्षा एजेंसी कंपनी को क्लीन देना है। विश्वविद्यालय के नियमानुसार किसी संकाय अध्यक्ष या संभागायुक्त को ही प्रभार दिया जा सकता है। एक नाम गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डीन पीके कसार का भी चल रहा है, जबकि इनके खिलाफ 2018 से करोड़ों की दवा खरीदी में वित्तीय अनियमितता में विभागीय जांच लंबित है। हालांकि डॉ. कसार ने कुलपति की दौड़ से साफ इनकार किया है। उन्होंने उनके खिलाफ विभागीय जांच को लेकर भी।
एक्सपर्ट : हार्ड डिस्क का ऑफिशियल क्लोन बनाकर 5 लोगों के सामने रिकॉर्ड की जाए
व्यापमं घोटाले की जांच से जुड़े रहे प्रशांत पांडे बताते हैं की परीक्षा एजेंसी, विश्वविद्यालय के मेन सर्वर की हार्ड डिस्क का तत्काल ऑफिशियल क्लोन बनाया जाना चाहिए। हार्ड डिस्क की हैष वैल्यू निकालकर 5 लोगों के सामने रिकॉर्ड की जानी चाहिए, ताकि अदालत में क्लोन की वैधता पर सवाल ना उठ सके। हार्ड डिस्क की लॉग फाइल में कब-कब किसने कितनी बार डाटा कॉपी किया, उसे खोला, कोई भी परिवर्तन किया, यह सब स्थायी रूप से रिकॉर्ड हो जाता है। एक्टिविस्ट और एडवोकेट अमिताभ गुप्ता कहते हैं की परीक्षा एजेंसी और विश्वविद्यालय के डाटा की जांच केंद्रीय एजेंसी “सर्ट इन” से करवाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका भी लगा रहे हैं।

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