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जब भी कोई शुभ समाचार दे तो उसे कुछ न कुछ उपहार जरूर देना चाहिए

 

कहानी -श्रीराम रावण का वध करके अयोध्या लौट रहे थे। अयोध्या के लोग 14 सालों से श्रीराम की प्रतीक्षा कर रहे थे। सभी रास्ता देख रहे थे। खासतौर पर भरत जी नंदी ग्राम में वैरागी वेश में रहते थे और एक-एक दिन गिन रहे थे। अंतिम दिन भी वे विचार कर रहे थे, कब आएंगे राम?

राम जी ने हनुमान जी को ब्राह्मण के वेश में भरत के पास भेजा। उन्होंने भरत की स्थिति देखी, समझी और उन्हें सूचना दी कि राम जल्द ही अयोध्या पहुंच रहे हैं। तब भरत जी ने ब्राह्मण से पूछा कि आप कौन हैं?

हनुमान जी ने अपना परिचय दिया। तब भरत जी ने कहा, 'इतनी शुभ सूचना आपने मुझे दी है, आप बताइए मैं आपको क्या दूं?'

भरत जी ने हनुमान जी से पूछा, 'क्या राम मुझे याद करते थे?' ऐसी ही बहुत सारी बातें भरत जी ने पूछी थीं। हनुमान जी ने सभी बातों का संक्षिप्त में उत्तर दिया, 'श्रीराम आपको बहुत याद करते थे। वे आपसे बहुत प्रेम करते हैं और जल्दी ही आपके पास आ रहे हैं।'

श्रीराम ने हनुमान जी को भरत के पास वर्तमान स्थिति की जानकारी लेने के लिए भेजा था। श्रीराम को भरत पर संदेह नहीं था, लेकिन समय बहुत कुछ बदल देता है, इंसान की भावनाएं भी बदल जाती हैं। व्यवहारिक दृष्टिकोण यही है कि किसी प्रिय व्यक्ति से बहुत दिनों के बाद मिल रहे हैं तो उसकी वर्तमान स्थिति की जानकारी हमें होनी चाहिए।

सीख - इस कथा से हमें दो बातें समझनी चाहिए। पहली, अगर किसी प्रिय व्यक्ति से बहुत दिनों के बाद मिल रहे हैं तो उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। दूसरी बात, जब कोई व्यक्ति हमें शुभ समाचार दे तो उसे कुछ न कुछ उपहार जरूर देना चाहिए।

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