कहानी - श्रीकृष्ण पर स्यमंतक मणि चुराने का आरोप लगा था। इस आरोप को झूठा साबित करने के लिए श्रीकृष्ण मणि खोजने जंगल की ओर चल दिए। जंगल में एक गुफा में उनका सामना जांबवंत से हो गया।
स्यमंतक मणि जांबवंत के पास ही थी। जांबवंत ने श्रीकृष्ण को मणि देने से मना कर दिया तो दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया। उस समय श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव बहुत चिंतित थे। वसुदेव जी ने नारद मुनि से पूछा, 'मेरा बेटा मणि की खोज में जंगल गया है और सुना है कि उसका जांबवंत से युद्ध हो रहा है। जांबवंत भी बहुत बलवान हैं तो कृष्ण की चिंता हो रही है। कृपया बताएं मुझे क्या करना चाहिए?'
नारद मुनि बोले, 'अंबिका देवी की पूजा करो और नौ दिनों तक उनकी कथा सुनो।'
वसुदेव ने ऐसा ही किया। देवी के मंत्रों को सुनकर वसुदेव जी को शांति मिली। नौ दिनों तक जांबवंत और श्रीकृष्ण का युद्ध चला और जांबवंत को पराजित करके श्रीकृष्ण मणि लेकर लौट आए।
वसुदेव ने देवी अंबिका को धन्यवाद दिया और नारद जी से भी कहा कि आपने मुझे अच्छी विधि बताई। हमारा काम सफल हो गया है, मेरा पुत्र भी घर लौट आया है।
सीख - जीवन में जब संघर्ष आता है तो प्रयास हमें ही करना है, लेकिन हमारे प्रयासों को अगर आध्यात्मिक सहारा मिल जाए तो सफलता जरूर मिलती है। जिस तरह वसुदेव जी ने देवी पाठ किया और श्रीकृष्ण ने जांबवंत से युद्ध किया। मंत्र जाप से जो तरंगें निकलती हैं, उनसे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। ये अंधविश्वास नहीं है, अंधविश्वास तो ये है कि हम प्रयास ही न करें और मंत्र जाप के भरोसे बैठे रहें। अपना परिश्रम और प्रयास स्वयं करना चाहिए। साथ ही मंत्रों की ताकत का सहारा भी लेना चाहिए।
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