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जीवन मंत्र:टीम में कोई एक व्यक्ति गलती करता है तो उसकी वजह से सभी सदस्यों का काम प्रभावित हो सकता है

 

कहानी - जड़भरत से संबंधित किस्सा है। जड़भरत का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। माता-पिता की मृत्यु के बाद भाई-भाभियों ने उन्हें अपने साथ नहीं रखा। इसकी वजह ये थी कि जड़भरत बहुत तटस्थ रहते थे। उनका अपना कोई आग्रह नहीं था। जिसने जो काम बता दिया, वे कर लेते और अपनी मस्ती में रहते थे। उन्हें घर से निकाल दिया गया।

जड़भरत एक मंदिर में बैठे थे। उसी समय वहां से एक राजा, जिनका नाम रघुगढ़ था, की पालकी निकल रही थी। चार कहार पालकी उठाए हुए थे। एक कहार अचानक बीमार हो गया। मंत्रियों ने विचार किया कि कोई नया कहार तुरंत ढूंढा जाए जो राजा की पालकी उठा सके।

मंत्रियों को जड़भरत दिख गए। वे हष्ट-पुष्ट तो थे ही। मंत्रियों ने जड़भरत को उठाया और पालकी में जोत दिया। जड़भरत काम के लिए मना नहीं करते थे तो पालकी में जुत गए।

राजा की पालकी चलाने वाले लोग बहुत दक्ष हुआ करते थे। वे पालकी ऐसे चलाते थे कि राजा के पेट का पानी भी नहीं हिलता था, लेकिन जड़भरत को पालकी चलाने का अनुभव नहीं था तो कभी पैर इधर रखते, कभी उधर रखते। वे सोच रहे थे कि कहीं मेरे पैर से कोई कीड़ा न मर जाए।

जड़भरत की वजह से पूरी पालकी हिल रही थी तो राजा ने पालकी रुकवाई और नीचे उतरे तो उन्हें समझ आ गया कि ये कमजोर कहार है। राजा ने जड़भरत से कहा, 'देखो, शास्त्रों में संसर्ग दोष बताया गया है। अगर एक व्यक्ति दोषपूर्ण चाल चलता है तो उसका प्रभाव पूरी पालकी पर और अन्य तीन कहार पर होता है।'

जड़भरत को राजा की बात बहुत अच्छी लगी और उन्हें लगा कि राजा बहुत समझदार हैं।

सीख - इस कहानी की शिक्षा यह है कि अगर प्रबंधन में या किसी टीम में कोई एक साथी कमजोर है तो उसका असर पूरी टीम पर होता है। एक कमजोर व्यक्ति की वजह से पूरी व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसलिए ऐसे व्यक्ति को या तो सुधार देना चाहिए या उसे टीम से हटा देना चाहिए।



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