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हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ का अहम फैसला:कहा- डॉक्टर दंपति ने भले गलत तरीके से बच्चा गोद लिया, लेकिन परवरिश सगे बच्चे से बेहतर की, उन्हीं को सौंप दें

 

इंदौर हाईकोर्ट में बच्चे को अवैध तरीके से गोद लेने का मामला आया था। कोर्ट ने गोद लेने वाले दंपती के हक में फैसला किया। - Dainik Bhaskar
इंदौर हाईकोर्ट में बच्चे को अवैध तरीके से गोद लेने का मामला आया था। कोर्ट ने गोद लेने वाले दंपती के हक में फैसला किया।
  • जैविक मां चेहरा देखने को तैयार नहीं थी, डॉक्टर दंपती ने गोद लिया था बच्चा

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि नि:संतान डॉक्टर दंपती ने भले गलत तरीके से बच्चा गोद लिया, लेकिन उसकी परवरिश सगे बच्चे से बढ़कर की। दंपती के लगाव को देखते हुए बच्चा उनके पास ही रहने दिया जाए। विधि सेवा प्राधिकरण बच्चे को गोद देने की प्रक्रिया कराए।

दरअसल जन्म के बाद मां ने बच्चा स्वीकार करने से मना किया तो दंपती ने विधिवत प्रक्रिया के बजाय अस्पताल के वार्ड बॉय और नर्स के जरिए बच्चा गोद ले लिया। जब वार्ड बॉय और नर्स के खिलाफ पुलिस ने मानव तस्करी, अवैध गर्भपात, डिलीवरी कराने का केस दर्ज किया तो दंपती भी फंस गए।

पुलिस ने डॉक्टर पत्नी को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया। बच्चे को अनाथ आश्रम में छोड़ दिया। इसके बाद डॉक्टर ने अग्रिम जमानत लेकर पत्नी को छुड़वाया फिर आश्रम से बच्चा वापस लेने हाई कोर्ट पहुंचे, जिसमें उनके पक्ष में फैसला हुआ।

15 दिन का था तब गोद लिया, अब दो साल का है
अधिवक्ता मनीष यादव के मुताबिक इसी साल फरवरी-मार्च में वार्ड बॉय बबलू और नर्स शिल्पी के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया था। दंपती डॉ. हरेसिंह और डाॅ. रीत ठाकरे पर बच्चा खरीदने का केस दर्ज हुआ था।

नर्स-वार्ड बॉय ने दो साल पहले 15 दिन का बच्चा उन्हें सीधे गोद दे दिया था। जब पुलिस ने बच्चे को आश्रम भेजा तो डॉक्टर ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर की। जस्टिस विवेक रुसिया की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

बच्चे की बीमा पॉलिसी, एफडी भी कोर्ट में पेश की
दंपती ने हाईकोर्ट में बच्चे के नाम पर बीमा पालिसी, एफडी, टीकाकरण के दस्तावेज तक पेश किए। कोर्ट को बताया कि वे सगे बच्चे की तरह देखभाल कर रहे हैं। दंपती ने 15 अगस्त को बच्चे का धूमधाम से जन्मदिन भी मनाया, उसके फोटोग्राफ आदि भी कोर्ट के सामने पेश किए।

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