प्रॉप्रटी की खरीदारी में होने वाली धोखाधड़ी और विवादों को रोकने के लिए संपदा-2 सॉफ्टवेयर में अहम बदलाव होने जा रहे हैं। इससे न केवल रजिस्ट्री की प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि आपके मोबाइल फोन पर ही ये पता चल जाएगा कि शहर के किस इलाके में प्रॉपर्टी खरीदने से फायदा होगा, उस प्रॉपर्टी के आसपास ऐसे कौन से प्रोजेक्ट हैं, जो सरकार ने स्वीकृत कर दिए हैं। जो प्रॉपर्टी आप खरीदना चाहते हैं उसके आसपास कितनी रजिस्ट्री हो रही हैं और कितनी स्टाम्प ड्यूटी चुकाना पड़ेगी। देश में ऐसा प्रयोग करने वाला पहला राज्य मप्र होगा। इस नई व्यवस्था को लागू होने में करीब एक साल का वक्त लगेगा। पंजीयन विभाग के अफसरों ने बताया कि लैंड एंड रिकॉर्ड्स डिपार्टमेंट के खसरों को लिंक किया जा रहा है।
नई व्यवस्था में एक क्लिक पर यह जानकारी मिल सकेगी कि प्रॉपर्टी पर किसी प्रकार का स्टे तो नहीं है, नामांतरण कब हुआ है, खसरे में किसके नाम पर दर्ज है। यह भी पता चल जाएगा कि इनकम टैक्स में यह प्रॉपर्टी अटैच तो नहीं है। इससे धोखाधड़ी रुकेगी और प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में कोई विवाद भी नहीं होगा। क्यू मैनेजमेंट सिस्टम लागू होने के बाद व्यक्ति की रजिस्ट्री किस सब रजिस्ट्रार के पास होगी, इसकी जानकारी उसे टोकन के माध्यम से मिलेगी।
मोबाइल एप होगा तैयार- पंजीयन मुख्यालय के अफसरों ने बताया कि लोगों की सहूलियत के लिए एक मोबाइल एप भी तैयार कराया जा रहा है। इस एप के जरिए आपको पता चल जाएगा कि जिस जगह पर आप खड़े हैं, उस जमीन की गाइडलाइन वैल्यू क्या है। ये पहला मौका होगा जब भोपाल सहित प्रदेशभर के जिलों की कलेक्टर गाइडलाइन को इस एप में अपलोड किया जाएगा।
खुद बुक करेंगे ऑनलाइन स्लॉट- अगले साल से आप जमीन, मकान, फ्लैट्स की रजिस्ट्री की डीड और स्लॉट ऑनलाइन बुक कर सकेंगे। सिर्फ रजिस्ट्री की काॅपी लेने के लिए रजिस्ट्री दफ्तर जाना होगा। इसके लिए व्यक्ति को पंजीयन विभाग की वेबसाइट www.mpigr.gov.in पर जाकर यूजर आईडी बनाना होगा। फिर प्रॉपर्टी और सीमाओं की डिटेल भरना होगी।
आधार से लिंक- ई-रजिस्ट्री के लिए अब गवाहों की जरूरत नहीं पड़ेगी। नई व्यवस्था में पंजीयन मुख्यालय के सर्वर को यूआईडीएआई से लिंक किया जाएगा। रजिस्ट्री के वक्त दो तरह से पहचान जांची जाएगी। संपत्ति खरीदने और बेचने वालों के आधार नंबर और फिंगर प्रिंट लिए जाएंगे। इसे एक गेटवे के जरिए सेंट्रल आइडेंटिटी डाटा सेंटर भेजा जाएगा।
जीआईएस टैगिंग होगी- संपदा प्रभारी स्वप्नेश शर्मा ने बताया कि एप को जीआईएस (जीओ इनफॉर्मेशन सिस्टम) से जोड़ा जाएगा। जो प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं, वहां जाकर एप से प्रॉपर्टी की फोटो खींचना होगी। फोटो अपलोड होते ही यह जीआईएस मैप हो जाएगी। इससे प्रॉपर्टी की सटीक लोकेशन मिलेगी। यह फोटो ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए फीड हो जाएगी।
उम्मीद है यह सिस्टम एक साल में लागू हो जाएगा
सिस्टम ऐसा बना रहे हैं कि लोगों को रजिस्ट्री के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। ज्यादातर चीजों को ऑनलाइन डिजिटल फाॅर्म में बदल दिया जाएगा। ये देश का पहला सिस्टम होगा। उम्मीद है कि एक साल में ये लागू हो जाएगा। -सुखबीर सिंह, आईजी पंजीयन एवं मुद्रांक
- 350 रजिस्ट्री आमतौर पर होती हैं राजधानी में रोजाना।
- 6500 के आसपास रहता है। प्रदेश में यह आंकड़ा
यह जरूरी बदलाव भी होंगे...सैटेलाइट इमेज की मदद से दस्तावेज पंजीयन के ठीक पहले इमेज ऑनलाइन दिखेगी। इससे पता चलेगा कि मकान, प्लॉट कहां है और उसका एरिया कितना है।
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