सावन माह में शिव जी के प्राचीन मंदिरों में दर्शन और पूजन करने का महत्व काफी अधिक है। आज जानिए माउंट आबू के एक ऐसे मंदिर के बारे में, जहां स्थित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है और इस मंदिर में शिव जी के अंगूठे की पूजा की जाती है।
अचलेश्वर महादेव मंदिर माउंट आबू से करीब 11 किमी दूर अचलगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित है। क्षेत्र में मान्यता प्रचलित है कि इस मंदिर में स्थित भगवान शिव के अंगूठे की वजह से ही यहां के पहाड़ टिके हुए हैं। इसी अंगूठे के नीचे एक शिवलिंग भी स्थित है।
अंगूठे के नीचे स्थित शिवलिंग दिन में 3 बार अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है। सुबह ये शिवलिंग लाल दिखाई देता है। दोपहर में केसरिया और रात में काला दिखता है।
ये है मंदिर से जुड़ी मान्यता
यहां के लोग कहते हैं कि पुराने समय में जब ये पर्वत पर स्थित नंदीवर्धन डगमगाने लगा था। उस समय शिव जी ने अपने अंगूठे से इस पर्वत को और नंदी को बचाया था। शिव जी के अंगूठे का निशान यहां मंदिर में आज भी दिखता है।
मंदिर में है एक रहस्यमयी कुंड
मंदिर में शिव जी के अंगूठे के नीचे एक प्राकृतिक कुंड है। ये कुंड बहुत ही रहस्यमयी है। इस कुंड में कितना भी पानी डाला जाए, ये भरता नहीं है। कुंड से पानी कहां जाता है, ये रहस्य है।
मंदिर क्षेत्र में द्वारिकाधीश जी का मंदिर भी है। इनके अलावा भगवान के विष्णु दशाअवतार दर्शाती प्रतिमाएं भी यहां स्थापित हैं।
मंदिर के पास अचलगढ़ किला है। ये किला अब खंडहर हो चुका है। इस किले को परमार राजवंश ने बनवाया था। बाद में महाराणा कुंभा ने इसका जिर्णोद्धार करवाया था।
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