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एनसीआरबी की रिपोर्ट में खुलासा:गंभीर अपराधों में इंदौर देश में छठे नंबर पर, 1 लाख की आबादी पर 618 केस

 

सीनियर सिटीजन से जुड़े अपराधों में शहर 10वें नंबर पर, बाल अपराध में प्रदेश देश में अव्वल। - Dainik Bhaskar
सीनियर सिटीजन से जुड़े अपराधों में शहर 10वें नंबर पर, बाल अपराध में प्रदेश देश में अव्वल।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने बुधवार को ताजा रिपोर्ट जारी की। इसके अनुसार साल 2020 में इंदौर गंभीर (संज्ञेय) अपराधों में छठे और सीनियर सिटीजन से जुड़े अपराधों में 10वें स्थान पर रहा। वहीं मप्र बाल अपराधों में मामले में देश में शीर्ष पर आया है। संज्ञेय अपराधों में दिल्ली पहले पायदान पर है।

उसके बाद चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत और पुणे का नंबर है। रिपोर्ट के मुताबिक 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले 19 शहरों में इंदौर में एक लाख की आबादी पर 618.6 केस दर्ज हुए। डीआईजी मनीष कपूरिया के अनुसार रिपोर्ट का विश्लेषण कर इसमें कमी लाने का प्रयास करेंगे। वहीं, देश में साल 2020 में 51 लाख केस दर्ज हुए, जो 2019 के मुकाबले 14 लाख ज्यादा हैं।

बीते साल देश में औसतन रोज 80 हत्या व 77 दुष्कर्म के केस दर्ज हुए। हत्या के सबसे ज्यादा 3,779 केस यूपी व दुष्कर्म के सर्वाधिक 5,310 केस राजस्थान में दर्ज हुए।

सीनियर सिटीजन के अपराधों में भी दिल्ली अव्वल, इंदौर 10वें स्थान पर इसी तरह सीनियर सिटीजन को लेकर दर्ज अपराधों में दिल्ली 906 अपराधों के साथ पहले नंबर पर है।इसके बाद मुंबई 844, अहमदाबाद 709, चेन्नई 321, बेंगलुरु 210, हैदराबाद 170 , जयपुर 157, पुणे 123 , कोजिकोड 113 है। इस सूची में 95 अपराधों के साथ इंदौर दसवें नंबर पर है।

जिन थ्रेड में आंकड़े बड़े हैं उन पर फोकस कर करेंगे कंट्रोल

जिन थ्रेड में हमारे आंकड़े बढ़े हैं, उन पर फोकस करने के साथ उसे टारगेट में लेकर आंकड़ों में कमी लाने का प्रयास रहेगा। फिलहाल रिपोर्ट का एनालिसिस करने के बाद ही हम और स्थिति स्पष्ट कर सकेंगे।
- मनीष कपूरिया डीआईजी, इंदौर

क्या हाेते हैं संज्ञेय अपराध

ऐसे अपराध, जिसमें गिरफ्तारी के लिए पुलिस को किसी वारंट की जरूरत नहीं होती। पुलिस बिना मेजिस्ट्रेट की आज्ञा भी किसी मामले की जांच शुरू कर सकती है।

एक्सपर्ट व्यू

धर्मेंद्र चाैधरी, रिटायर्ड डीआईजी- रोजगार कम होने से बढ़े अपराध

संज्ञेय अपराधों में छठे पायदान पर होना दर्शाता है कि पुलिस व सरकार संवेदनशील है। संज्ञेय अपराधों के आंकड़े छिपाकर प्रकरण दर्ज न किए जाने से अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं। कई बार आंकड़े बढ़ना ये भी दर्शाता है कि अपराधी सक्रिय हैं। इस बार काेराेना और लॉकडाउन ने कई लोगों के रोजगार छीने हैं। इसके असर से भी अपराधों में बढ़ोतरी हुई है।

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