जिले में कोरोना संक्रमण के उतार-चढ़ाव के मद्देनजर जिला प्रशासन ने इस बार भी गणेशोत्सव पर व्यवस्थाओं में कसावट जारी रखी है। कलेक्टर मनीषसिंह द्वारा जारी आदेश के तहत इस बार पांडाल का आकार 30X45 (1350 फीट) से ज्यादा बड़ा नहीं होगा। झांकी निर्माताओं को आवश्यक रूप से यह सलाह दी गई है कि वे ऐसी झांकियों का निर्माण व प्रदर्शन नहीं करें, जहां संकरी जगह होने के कारण दर्शकों की भीड़ की स्थिति बने तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न हो सके। मूर्तियों का विसर्जन संबंधित आयोजन समिति द्वारा किया जाएगा। इसमें विसर्जन स्थल पर ले जाने के लिए केवल 10 व्यक्तियों के समूह की अनुमति होगी। इसके लिए आयोजकों को जिला प्रशासन से अलग से लिखित अनुमति लेना होगा।
आदेश में निर्देश दिए गए हैं कि विसर्जन के लिए स्थानों का उपयुक्त स्थानों चयन किया जाए ताकि विसर्जन स्थल पर कम भीड़ हो। कोरोना संक्रमण को देखते हुए धार्मिक व सामाजिक आयोजन के लिए चल समारोह निकालने की अनुमति नहीं होगी। विसर्जन के लिए सामूहिक चल समारोह भी नहीं होगा। लाउड स्पीकर बजाने के संबंध मेें सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की गई गाइड लाइन का पालन करना अनिवार्य होगा। सार्वजनिक स्थानों पर संक्रमण से बचाव के लिए श्रद्धालुओं को फेस कवर, सोशल डिस्टेंसिंग व सेनिटाइजर का प्रयोग करना होगा। इसके साथ ही राज्य शासन द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
झांकी निर्माताओं में निराशा
इसके पूर्व पिछले हफ्ते कुछ झांकी निर्माताओं ने कलेक्टर से मुलाकात कर इस बार अनंत चतुर्दशी पर परम्परागत चल समारोह की अनुमति की मांग की थी जिस पर उन्होंने संकेत दिए थे कि संक्रमण के मद्ेनजर अनुमति नहीं दी सकती। अब इस आदेश से स्पष्ट ही हो गया इस बार भी झांकिया नहीं निकलेगी। दूसरा यह आने वाले दिनों में अगर संक्रमण कंट्रोल में भी रहा तो इतना समय ही नहीं है कि झांकियों का निर्माण किया जा सके। इसके चलते झांकी निर्माताओं व आमजन में निराशा है।
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