- वेधशाला में नाड़ीवलय और शंकु यंत्र पर धूप रहने पर पूरे दिन देखी जा सकेगी खगोलीय घटना
सूर्य के विषुवत रेखा पर लंबवत होने से गुरुवार को शरद संपात रहेगा। यानी दिन और रात बराबर 12-12 घंटे के रहेंगे। इसके बाद रातें बड़ी होने लगेंगी। 22 दिसंबर को सबसे बड़ी रात और सबसे छोटा दिन होगा। खगोलीय घटनाक्रमों में 23 सितंबर को शरद संपात में दिन और रात बराबर होने की स्थिति बनती है।
रात और दिन की अवधि बराबर 12-12 घंटे होने के बाद दिन की अवधि घटने लगती है तथा रात की बढ़ने लगती है। इस दिन सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध और तुला राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य की दक्षिण गोलार्द्ध यात्रा शुरू हो जाने से उत्तरी गोलार्द्ध में दिन छोटे होने लगेंगे और रात बड़ी होती जाएगी। 22 दिसंबर को वह दिन आएगा जब दिन की अवधि सबसे कम और रात की सबसे ज्यादा होगी। सूर्य के दक्षिण गोलार्द्ध की ओर जाने से उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणों की तीव्रता कम हो जाने से शरद ऋतु की शुरुआत हो जाएगी।
वेधशाला में नाड़ीवलय व शंकु यंत्र से देख सकते हैं सूर्य का दक्षिणायन होना
जीवाजी वेधशाला में गुरुवार सुबह 10.30 से शाम 4 बजे तक इस खगोलीय घटनाक्रम को यंत्रों पर देखा जा सकता है। वेधशाला अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त के अनुसार शंकु यंत्र तथा नाड़ी वलय यंत्र से वेधशाला में इस घटना को देख सकते हैं। गुरुवार को शंकु की छाया पूरे दिन सीधी रेखा पर गमन करती हुई दिखाई देगी। नाड़ी वलय यंत्र के उत्तरी गोल भाग पर 22 मार्च से 22 सितंबर तक धूप रहती थी। 23 सितंबर को उत्तरी तथा दक्षिणी किसी गोल भाग पर धूप नहीं रहेगी। सूर्य के गोलार्द्ध परिवर्तन को हम नाड़ी वलय यंत्र पर देख सकते हैं।
0 टिप्पणियाँ