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जीएसटी व टैक्स का भी नुकसान हो रहा:प्रदेश में 16% टैक्स होने से दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड हो रहीं लग्जरी गाड़ियां

 

70 गाड़ियां यहां से बिकती थीं हर माह, अब आधी रह गईं। - Dainik Bhaskar
70 गाड़ियां यहां से बिकती थीं हर माह, अब आधी रह गईं।

लग्जरी गाड़िया की इंदौर सहित प्रदेश में बिक्री आधी हो गई है। इसके पीछे कारण है कि यहां पर आरटीओ 14 से 16 फीसदी तक रोड टैक्स ले रहा है। वहीं, दूसरे प्रदेश खासकर हिमाचल, दमन में यह टैक्स महज चार से छह फीसदी तक है। ऐसे में गाड़ियां दूसरे प्रदेशों से खरीदकर रजिस्टर्ड करवाकर इंदौर सहित प्रदेश में चला रहे हैं। डीलर्स का मानना है कि कुछ लोग यही काम कर रहे हैं, जिससे आरटीओ को टैक्स और प्रदेश को जीएसटी दोनों का नुकसान हो रहा है।

डीलर्स का कहना है कि इंदौर-भोपाल में लग्जरी गाड़ियों के सात शोरूम हैं। हर महीने करीब 70 गाड़ियां यहां से बिकती थीं, लेकिन बीते पांच महीनों में यह आंकड़ा आधा हो गया है। डीलर्स की जहां गाड़ियों की बिक्री कम हुई, वहीं सबसे ज्यादा नुकसान प्रदेश सरकार को हो रहा है, क्योंकि उन्हें 28 फीसदी जीएसटी और परिवहन विभाग को 16 फीसदी टैक्स इससे मिलता था। यदि गाड़ी की कीमत 50 लाख रुपए भी है तो 22 लाख रुपए का नुकसान (जीएसटी, रोड टैक्स) मिलाकर हो रहा है।

परिवहन आयुक्त से मिलेंगे डीलर

ऑडी, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, रेंज रोवर कंपनी से जुड़े डीलर इस पूरे मामले में परिवहन आयुक्त से भी मिलेंगे। वे उन्हें जानकारी देंगे कि गाड़ियां दिल्ली, मुंबई सहित अन्य राज्यों से खरीदकर ऐसी जगहों पर रजिस्टर्ड करवाई जा रही हैं, जहां टैक्स कम है। वे परिवहन आयुक्त को समस्याएं बताएंगे और इसके निराकरण के लिए भी कहेंगे। डीलर्स का कहना है सभी प्रदेशों में एक जैसा टैक्स लागू हो। फर्जी रेंट एग्रीमेंट पर कार्रवाई की जाए।

गाड़ी अन्य प्रदेश की चल रही इंदौर में

जो गाड़ियां दूसरे प्रदेश में रजिस्टर्ड हो रही हैं, वे चल इंदौर में ही रही हैं। इसके पीछे एजेंट संगठन काम कर रहा है, वो गाड़ी खरीदने वालों को टैक्स में फायदा बताकर यह कर रहे हैं। इसके लिए वे वहां पर फर्जी तरह से रेंट एग्रीमेंट भी बनवाते हैं। पांच महीनों में कई गाड़ियां दूसरे प्रदेश में रजिस्टर्ड हुई हैं। इन गाड़ियों से दुर्घटना हुई तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा?

स्थायी रूप से चलने वाली गाड़ी को करवाएं यहां ट्रांसफर, नहीं तो होगी कार्रवाई: आरटीओ

आरटीओ जितेंद्र सिंह रघुवंशी का कहना है कि यदि गाड़ी छह महीने से ज्यादा समय तक चलती है तो उसके लिए उन्हें प्रदेश में ट्रांसफर करवाना होगी। यहां टैक्स जमा कर नाम परिवर्तन कराना जरूरी है, नहीं तो कार्रवाई होगी। जल्द इसको लेकर परिवहन विभाग चेकिंग अभियान भी चलाएगा।

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