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चार चरण में परीक्षा का फायदा नहीं:जेईई रिजल्ट पर कोरोना का असर; इंदौर के 2 ही बच्चे टॉप-200 में, बेस्ट रैंक में भी पिछड़े

 

देश में 44 छात्रों को 100 पर्सेंटाइल। - Dainik Bhaskar
देश में 44 छात्रों को 100 पर्सेंटाइल।

नेशनल टेस्टिंग  एजेंसी (एनटीए) द्वारा बुधवार को जारी नतीजों में शहर के छात्रों का परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। इंदौर से सिर्फ 2 बच्चे टॉप-200 में जगह बना पाए। पिछले वर्ष शहर के 5 और 2019 में तो 4 छात्रों ने टाॅप 100 में जगह बनाई थी। इस बार लड़कों में स्टेट टॉपर अंतरिक्ष गुप्ता रहे, उनकी रैंक 81 रही।

लड़कियों में मानसी सोडानी प्रदेश में टॉप पर रहीं, उनकी रैंक 1174 रही। पिछले वर्ष आकर्ष जैन ने 69 रैंक व 2019 में ध्रुव अरोरा ने ऑल इंडिया रैंक 3 हासिल की थी। पहली बार जेईई मेंस साल में दो के बजाए चार बार हुई। इसका मकसद छात्र को रैंक सुधारने के अधिक मौके देना था, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

कट ऑफ मार्क्स भी 2 साल की तुलना में कम रहा। जेईई एडवांस में सिलेक्ट होने वाले टाॅप 2.5 लाख बच्चे जो पिछले साल 90 पर्सेंटाइल पर ही मिल गए थे। इस बार 87.89 पर्सेंटाइल तक के बच्चे इसमें शामिल हुए। फिटजी इंदौर के सेंटर हेड अतिल अरोड़ा बताते हैं कि परफॉर्मेंस कमजोर रहने का बड़ा कारण लॉकडाउन रहा।

बच्चे लंबे समय तक घरों में थे, इससे उनके मेंटल लेवल पर असर पड़ा। कोरोना के एक माह बाद टेस्ट में ही इसका असर दिखने लगा था। कैटेलाइजर के सुमित उपमन्यु बताते हैं, इस बार पढ़ाई के साथ बच्चों का मॉरल बनाए रखना जरूरी था। कल्पवृक्ष के विजित जैन का कहना है, विपरीत स्थितियों में भी प्रदर्शन अच्छा रहा। सिटी भास्कर भी पढ़ें

कटऑफ से ज्यादा स्कोर के बाद नहीं दिए पेपर

एनटीए के परिणाम चार परीक्षाओं में सर्वश्रेष्ठ के आधार पर बनी मेरिट सूची है। 9 लाख छात्रों ने जेईई मेंस दी थी। हर चरण में बच्चों की संख्या कम हुई। यानी कट ऑफ मार्क्स क्लियर करने वालों ने बाद की परीक्षा नहीं दी।


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