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5 दिन में 2 महिलाओं ने 8 को जिंदगी दी:इंदौर के कपड़ा व्यापारी का 4 साल से लिवर खराब था, 2 साल से वेटिंग में थे; दुनिया से जाते-जाते नेहा ने किया अंगदान

 

नेहा चौधरी । - Dainik Bhaskar
नेहा चौधरी ।

इंदौर में पिछले 5 दिन में दो महिलाओं ने आठ लोगों को नई जिंदगी दी है। दोनों इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके अंगदान के संकल्प ने दूसरों की जिंदगी की डोर को थाम लिया है। किसी की किडनी काम नहीं कर रही थी तो किसी का लिवर। जिंदगी धीरे-धीरे खत्म हो रही थी। अब सभी सुरक्षित हैं। कुछ दिन में अस्पताल से बाहर आ जाएंगे। इसमें शामिल हैं इंदौर के एक कपड़ा व्यापारी, जिनका लिवर चार साल पहले खराब हो गया था। दो साल से नाम वेटिंग था। उनकी यह वेटिंग नेहा की इच्छा ने खत्म की।

डॉ. संगीता पाटिल और नेहा चौधरी की मौत के बाद उनकी इच्छानुसार अंगदान किए गए। डॉ. संगीता पाटिल की दोनों किडनी, लीवर तीन मरीजों में ट्रांसप्लांट हुए हैं। नेहा चौधरी की दोनों किडनी, लीवर, दोनों आंख और त्वचा दूसरे को ट्रांसप्लांट की गई हैं। इस तरह दोनों ने आठ लोगों को नई जिंदगी दी है। जिन मरीजों में किडनियों और लिवर ट्रांसप्लांट किया है, उनकी हालत काफी अच्छी है।

लिवर ट्रांसप्लांट के मामले अकसर कम ही होते हैं। इंदौर में पूर्व में दो लोगों की मौत के बाद लिवर डोनेट किए गए थे। अब 16 सितम्बर को डॉ. संगीता पाटिल का लीवर बंसल हॉस्पिटल, भोपाल में भर्ती मरीज को तो नेहा का लीवर उसी चोइथराम हॉस्पिटल में भर्ती 56 साल के एक कपड़ा व्यापारी को ट्रांसप्लांट किया गया। वे अभी ICU में हैं और जल्द ही रिकवरी के बाद वार्ड में रेफर होंगे। उनकी हालत पहले से काफी अच्छी है।

भतीजे ने बताया कि चाचा को 2017 से लीवर की समस्या हुई थी। उन्हें खून की उल्टियां शुरू हुईं और जब डॉक्टरों को दिखाया तो कई प्रकार की जांचें की गई, जिसमें पता चला कि उन्हें लीवर सिरॉसिस बीमारी है। कुछ समय तक इलाज चला और ड्रेसिंग भी हुई लेकिन फिर लीवर कमजोर पड़ने लगा।

पांच महीने पहले लिवर मिलने से चूके
2019 में ही चोइथराम हॉस्पिटल के डॉ. अजय जैन को बताया तो उन्होंने डायग्नोस करने के बाद बताया कि अब लिवर अच्छी स्थिति में नहीं है। इसके लिए किसी अन्य का लीवर ट्रांसप्लांट किया जाए तो वे लंबी उम्र जी सकते हैं। इस पर परिवार ने 2019 में ही आर्गन्स सोसायटी के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराया और इलाज के तमाम जानकारी व रिपोर्ट्स भी फीड की। इस बीच देशभर में अन्य लिवर मरीजों के नंबर थे, जिसके चलते प्राथमिकता उनकी थी। करीब 5 महीने पहले सोसायटी फॉर आर्गन डोनेशन से फोन आया कि एक मरीज की मौत के बाद उनका लिवर ट्रांसप्लांट किया जाना है। उस दौरान कुछ अन्य परेशानियों के चलते परिवार तैयार नहीं हो सका तो लिवर दूसरे मरीज को ट्रांसप्लांट कर दिया गया।

सुबह आए एक फोन से बंध गई उम्मीद
इसके बाद व्यापारी का परिवार लिवर का इंतजार करने में लगा था। इस बीच शनिवार सुबह परिवार के पास चोइथराम हॉस्पिटल से फोन आया कि एक महिला मरीज की मौत के बाद उसका लिवर ट्रांसप्लांट किया जाना है। यह भी बताया कि व्यापारी और महिला का ब्लड ग्रुप एक है और लिवर ट्रांसप्लांट किए जाने को लेकर जो आवश्यकता हैं, वे एक समान हैं और लीवर ट्रांसप्लांट हो जाएगा। ऐसा कहकर डॉक्टरों ने परिवार को व्यापारी को एडमिट कराने को कहा। इस पर दोपहर को परिजन ने व्यापारी को चोइथराम हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। इसके पूर्व डॉक्टर दो बार परीक्षण के बाद नेहा को ब्रेन डेड घोषित कर चुके थे। फिर व्यापारी की फिर से सारी जांच कराई गई और रविवार को लीवर ट्रांसप्लांट का प्लान बनाया।

जानिए कैसे किया प्लान….

  • प्लानिंग के तहत डॉक्टरों की एक रिट्रवल टीम (अंग निकालने वाली टीम) ने नेहा के लिवर, किडनियों को सुरक्षित निकाला।
  • इसी हॉस्पिटल में डॉक्टरों की दूसरी टीम ने व्यापारी को ऑपरेशन थिएटर में लेकर उन्हें एनेस्थीशिया दिया।
  • फिर पहली टीम द्वारा नेहा का लिवर निकालते ही ओटी में डॉक्टरों की दूसरी टीम को दिया।
  • इस बीच दूसरी टीम व्यापारी को ऑपरेट कर चुकी थी और फिर नेहा का लिवर व्यापारी को ट्रांसप्लांट करना शुरू किया।
  • खास बात यह कि सुबह 11.30 ट्रांसप्लांट रात 10.30 बजे (11 घंटे) तक चला।
  • ढाई बजे तक नेहा की दोनों किडनियां, आंखें व त्वचा अलग कर ली गई थीं।
  • एक किडनी सीएचएल व दूसरी बॉम्बे हॉस्पिटल रवाना की गई जो क्रमश: 7 व 9 मिनिट में वहां पहुंच गई और उधर भी दो ट्रांसप्लांट शुरू हो गए। इधर, नेहा की आंखें व त्वचा चोइथराम हॉस्पिटल की बैंक में पहुंचा दी गई।

अब धूलरहित कमरे में रहना होगा
कुल मिलाकर पूरा प्लानिंग टाइम लाइन के हिसाब से किया गया। अब व्यापारी सहितों तीन मरीज अच्छी स्थिति में है। व्यापारी अभी आईसीयू में भर्ती है और एकाध हफ्ते में रिकवरी के बाद उन्हें वार्ड में रेफर किया जाएगा। फिर स्थिति अनुसार डिस्चार्ज किया जाएगा। व्यापारी परिवार इसके लिए दिवंगत नेहा के जज्बे व भावनाओं का कृतज्ञ हैं। इसके साथ ही डॉक्टर, सोसायटी फॉर ऑर्गन व मुस्कान ग्रुप को धन्यवाद देता है जिनके कारण परिवार के मुखिया को जीवनदान मिला।

व्यापारी के परिवार में तीन बेटियां हैं जिनमें से दो की शादी हो चुकी है। परिवार ने बताया कि अब इलाज का खर्च मरीज की रिकवरी पर निर्भर है। वैसे लीवर ट्रांसप्लांट के लिए करीब 15 से 20 लाख रु. का खर्च अनुमानित है। मरीज को डिस्चार्ज होने के बाद कम से कम तीन महीने ऐसे कमरे में रहना होगा जहां धूल न हो। इसके सहित कई बारीकियों का ध्यान रखना होगा तथा समय-समय पर फॉलोअप के तहत डॉक्टर को बताना होगा।

हार्ट के वॉल्व की समस्या से हुई थी नेहा की मौत
नेहा चौधरी (37) इंदौर के पार्श्वनाथ नगर की रहने वाली थी। कुछ सालों से उनके हार्ट के वॉल्व में समस्या थी। 12 सितंबर को उनकी तबीयत बिगड़ी। पति पंकज चौधरी उन्हें चोइथराम हॉस्पिटल ले गए तो पता चला कि ब्रेन हेमरेज हुआ है। फर्स्ट फेस में डॉक्टरों की स्पेशल टीम ने परीक्षण कर शनिवार सुबह 9.55 और फिर शाम शाम 4.17 बजे दूसरी स्पेशल टीम ने परीक्षण कर ब्रेन डेड घोषित किया। नेहा ने पहले ही परिवार वालों से अपने अंगदान की इच्छा जताई थी। उसने कहा था कि मरने के बाद लिवर, किडनी, आंखें सभी कुछ दान कर दिए जाएं, जिससे उसे शांति मिलेगी।

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