- शहर में झाकियो शहर में झांकियों की परंपरा की शुरुआत 1924 में हुकमचंद मिल ने ही की थी
कोरोना के कारण अनंत चतुर्दशी पर लगातार दूसरे साल झांकी नहीं निकली, लेकिन शहर में झांकियों की परंपरा की शुरुआत करने वाले हुकमचंद मिल गणेशोत्सव समिति से जुड़े पदाधिकारियों ने रविवार को अपनी 98 साल पुरानी परंपरा निभाई। मिल में विराजमान होने वाले गणेशजी को कार में बैठाकर पूरे झांकी मार्ग पर घुमाया। उसके बाद विसर्जन किया गया। मिल में मुहूर्त में पदाधिकारी-सदस्यों ने गणेशजी की आरती की।
कार में गणेशजी को बैठाया गया। मिल से झांकियां शुरू होकर जिस रूट से जाती थीं, उसी रूट- राजकुमार ब्रिज से चिमनबाग, कृष्णपुरा, जवाहर मार्ग, नृसिंह बाजार, सीतलामाता बाजार, खजूरी बाजार, राजबाड़ा फिर चिमनबाग होते हुए वापस लाया गया। हुकमचंद मिल गणेशोत्सव समिति के प्रधानमंत्री नरेंद्र श्रीवंश ने कहा गणेशोत्सव से मिल की 98 साल पुरानी परंपरा जुड़ी हुई है।
हर साल जब झांकियां निकालते थे तो ट्रॉले में सबसे आगे हम गणेशजी को विराजमान करते थे। कोरोना के चलते दो साल से झांकियां नहीं निकल रही। ऐसे में हम लोग अनंत चतुर्दशी पर गणेशजी को झांकी रूट पर घुमाने के बाद ही विसर्जन करते हैं।
गणेशजी से की प्रार्थना, कोरोना खत्म हो
मिल में लगातार दूसरे साल तीन फीट ऊंची मूर्ति बैठाई थी। श्रीवंश ने कहा दस दिन कोविड गाइडलाइन के पालन के साथ ही उत्सव मनाया गया। अनंत चतुर्दशी पर गणेशजी को जब हम झांकी मार्ग पर ले गए तो उसमें भी सिर्फ छह लोग शामिल हुए जो अलग-अलग दो कार में थे।
इनमें किशनलाल बोकरे, प्रतिभानसिंह बुंदेला, अशोक मजुमदार, सुधाकर कामले, सुभाष सिरोसे शामिल थे। मिल की समिति से जुड़े लोगों ने गणेशजी से कोरोना को खत्म करने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा अब अगले साल पूरे उत्साह के साथ झांकी निकालेंगे। शहर की परंपरा एक बार फिर जीवित होगी।
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