कोरोना के मामले कम होने के बाद अब हाईकोर्ट में फेस टू फेस सुनवाई हो रही है। हालांकि वर्चुअल सिस्टम को भी यथावत रखा गया है, लेकिन जजेस लंबी बहस के मामलों में वकीलों को वर्चुअल सिस्टम से सुनने के बजाय कोर्ट में आने का दबाव बना रहे हैं। इसी के खिलाफ वकीलों के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से पूछा है कि बहस के लिए वकीलों को कोर्ट रूम में आने का दबाव क्यों बनाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बीवी नागारत्ना की बेंच ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट सहित तीन अन्य हाईकोर्ट, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा है। शीर्ष कोर्ट ने यह भी पूछा है कि अधिवक्ताओं एवं पक्षकारों को हाईब्रिड हियरिंग के मोड में वर्चुअल सुनवाई के विकल्प से क्यों वंचित किया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा एवं अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की। जिस प्रकार से उत्तराखंड एवं गुजरात हाई कोर्ट द्वारा वर्चुअल सुनवाई का विकल्प ही समाप्त कर दिया गया, उसी प्रकार से मप्र सहित देशभर के सभी उच्च न्यायालय धीरे-धीरे इसको समाप्त कर देंगे। अक्टूबर में शीर्ष अदालत इस पर सुनवाई कर सकती है।
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