डिप्टी डायरेक्टर (एडमिन) के 6 महीने तक बिल पमेंट की फाइल रोकने और रिश्वत लेने का मामला सामने आने के बाद अब भोपाल एम्स में फाइलों के मूवमेंट पर नजर और काम काज की पारदर्शिता रखने की कवायद तेज हो गई है। एम्स भोपाल में अब सभी कामकाज डिजिटिल होगा। यही नहीं, अधिकारियों को फाइलों को समय-सीमा में निपटाना होगा। इसके लिए एम्स प्रबंधन 4 अक्टूबर को ई-ऑफिस मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने जा रहा है। इस संबंध में भोपाल एम्स के डॉयरेक्टर डॉक्टर सरमन सिंह ने आदेश जारी कर दिए है।
इसके तहत अब एम्स में डाक में आने वाले आवेदन/पत्र/रशीद की स्कैन कॉपी भी संबंधित अधिकारी को अधिकारिक ई-मेल पर भेजा जाएगा। साथ ही भेजने वाले को अपना ई-मेल और मोबाइल नंबर देना होगा। जिससे उसको प्राप्ति की डिजिटली रशीद भी जारी होगी। यह व्यवस्था को लागू करने के लिए आईटी विभाग को निर्देश दिए गए हैं। एम्स डॉयरेक्टर डॉ. सरमन सिंह ने कहा कि इससे पारदर्शिता के साथ ही कामकाज में तेजी आने के साथ ही सुविधा होगी।
फाइलों की होगी मॉनिटरिंग
ई-ऑफिस सिस्टम में प्रत्येक फाइल को निपटाने के लिए अधिकारियों के लिए समय सीमा तय होगी। इसके अंदर ही उनको फाइलों को निपटाना होगा। साथ ही इसमें यह भी सुविधा होगी की किस अधिकारी के पास फाइल कितने समय तक पेडिंग रही। इसकी पूरी मॉनिटरिंग वरिष्ठ अधिकारी करेंगे।
पुरानी फाइलें भी होंगी डिजिटल
एम्स की पुरानी फाइलें भी डिजिटल फार्मेंट में बदलने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए एक एजेंसी का चयन किया जाएगा। यह काम एक से दो साल में पूरा किया जाएगा।
तीन कैटेगरी में होगी फाइलें डिजिटल
पहला- नई फाइल- इसमें फाइल के शुरू होने पर जरूरी दस्तावेजों और सपोर्टिंग दस्तावेजों को स्कैन किया जाएगा। इस फाइल में नोटशीट भी डिजिटल फॉर्मेट में भी होगी।
दूसरा- ऐसी फाइलें जो ई-ऑफिस सिस्टम लागू होने के पहले से चल रही है। उन सभी फाइलों की नोटिशीट और दस्तावेजों को स्कैन करने की कार्रवाई की जाएगी।
तीसरा- वह रिकॉर्ड जिसकी कार्रवाई पूरी हो चुकी है। उनके दस्तावेजों और नोटशीट को भी डिजिटल किया जाएगा।
एम्स के डायरेक्टर डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि एम्स में काम काम में तेजी लाने और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया जा रहा है। इसके लिए आईटी विभाग को जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
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