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राजबाड़ा क्षेत्र में ठियों की ‘ठेकेदारी प्रथा’:न जीएसटी और न ही कोई और टैक्स चुकाए रोजाना सड़कों पर लाखों का व्यापार

 

राजवाड़ा क्षेत्र में सड़कों पर ठियों की ‘ठेकेदारी प्रथा’ का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तक ठियों के ठेके की ऑडियो रिकॉर्डिंग पहुंचने के बाद विभागों में हड़कंप जरूर है लेकिन फिर भी टीम पर काफी दबाव है। यही कारण है कि पहले नगर निगम ने मुनादी कराई, फिर मंगलवार को हटाने की कार्रवाई की तो दोपहर तक टीम पिपली बाजार तक ही पहुंच सकी और कार्रवाई का रुख ठंडा हो गया। दरअसल, इन सड़क के ठियों के ठेकेदारों ने तीन साल में अपने गोरखधंधा जमा लिया है। यहां 432 छोटे-छोटे ठिए हैं जहां रोजाना लाखों का कारोबार होता है। चौंकाने वाली बात यह कि इन पर कोई नियम नहीं हैं यानी इनके लिए जीएसटी व न ही अन्य किसी टैक्स का प्रावधान है और न ही ये चुकाते हैं। इस लिहाज से बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी भी की जा रही है।

ठिये का कारोबार रिवर साइड रोड, रानीपुरा, आड़ा बाजार, राजाबाडा, निहालपुरा, पिपली बाजार, कसेरा बाजार, सराफा बाजार, क्लॉथ मार्केट, बजाजखाना चौक, सीतलामाता बाजार सहित आसपास की सड़कों पर होता है। ठिये के एक-एक ठेकेदार (नेता समर्थक, गुंडे) के पास 20 से 25 ठिये हैं। ये ठिये मात्र 25 वर्गफीट (5X5) के हैं। इन 432 ठियों का किराया 400 रु. से लेकर 1 हजार रु. तक जो है, वह बाजार पर निर्भर हैं। यानी आड़ा बाजार, गोपाल मंदिर के पास 400 से 500 रु. रोज का किराया वसूला जाता है। ऐसे ही पिपली बाजार, सराफा आदि में इन ठियों का किराया 1 हजार रु. रोज हैं क्योंकि यहां ज्यादा ग्राहकी होती है। इनके अलावा इन किराएदारों को नगर निगम के कर्मचारियों व पुलिस की रोज अलग से सेवा करनी पड़ती है। इसके बावजूद वहां रोज ठिये की दुकान लगाना फायदे का सौदा है, इसके चलते यह अ‌वैध कारोबार फल फूल रहा है। खास बात यह कि रोज के किराए की रसीद भी ठिए के ठेकेदार दे नहीं सकते क्योंकि मामला सीधे रंगदारी से जुड़ा है।

ब्याज के धंधे और सट्‌टे से जुडे़ हैं ठेकेदार

उधर, छोटे कारोबारी जो कपडे का व्यवसाय करते हैं वे आजादपुर मंडी (दिल्ली) से लाते हैं। इसके अलावा जूते-चप्पल, अन्य रेडिमेड कपड़े व सामान अलग-अलग शहरों से कम कीमत पर लाते हैं जहां न कोई टैक्स का सिस्टम होता और न ही यहां। त्यौहारों पर तो इन ठियों किराया भी बढ़ा दिया जाता है। उधर, ये ठिए के ठेकेदार ब्याज के धंधे और सट्‌टे से जुडे़ हैं। इनका पूरे क्षेत्र में काफी दबाव-प्रभाव है। अब बुधवार को नगर निगम की कार्रवाई का रुख क्या रहता है, इस पर व्यापारियों की नजर है। वैसे निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने हाल ही में बयान दिया है कि मामले में पुलिस के साथ समन्वय कर स्थाई हल निकाला जाएगा। छोटे व्यवसायियों के लिए हॉकर्स जोन पर विचार किया जा रहा है।

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