कहानी - महाभारत में पांचों पांडवों में बहुत एकता थी। बड़े भाई युधिष्ठिर का चारों भाई बहुत सम्मान करते थे। युधिष्ठिर एक काम करने के लिए कहते तो चारों भाई भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव उस काम को करने के लिए दौड़ पड़ते।
कभी-कभी एक-दूसरे को समझाने के लिए पांचों भाई कुछ काम ऐसे करते थे कि देखने वालों को लगता एक भाई अपने दूसरे भाई का अपमान कर रहा है। ऐसा करने के पीछे उनका उद्देश्य होता था कि भाई को कुछ संदेश प्राप्त हो जाए।
एक दिन युधिष्ठिर अपनी राजसभा में बैठे थे। उनके पास एक व्यक्ति भिक्षा मांगने आया। युधिष्ठिर उस समय व्यस्त थे। मांगने वाले ने निवदेन किया, लेकिन युधिष्ठिर ने मानव स्वभाव की वजह से कह दिया, 'आप जो मांग रहे हैं, वह मैं आज तो नहीं दे सकता। आप कल आ जाइए, कल मेरे पास समय भी रहेगा। मैं व्यवस्था कर दूंगा।'
मांगने वाला तो चला गया, लेकिन ये दृश्य भीम देख रहे थे। भीम ने तुरंत अपने सेवकों को आदेश दिया, 'बाजे बजाओ। खुशी मनाओ।'
आदेश मिलते ही सेवक बाजे बजाने लगे, संगीत से पूरा वातावरण भर गया। सभी खुशियां मनाने लगे तो युधिष्ठिर ने पूछा, 'भीम क्या बात है? इस समय खुशी की क्या बात है? जो तुम इतने बाजे बजवा रहे हो।'
भीम ने कहा, 'महाराज आपने समय को जीत लिया है। काल पर विजय पा ली है।'
युधिष्ठिर ने पूछा, 'ऐसा क्यों कह रहे हो? मुझे तो नहीं मालूम कि मैंने काल को जीत लिया है।'
भीम ने कहा, 'अभी तो जीता है आपने। उस मांगने वाले को आपने कहा कि कल आ जाना, कल व्यवस्था कर दूंगा। तो क्या आपको मालूम है, कल आप रहेंगे या नहीं रहेंगे? अगर आप जानते हैं तो आपने समय पर विजय पा ली है।'
ये सुनकर युधिष्ठिर को अपनी भूल का एहसास हो गया।
सीख - ये कहानी हमें एक बात समझा रही है कि जो शुभ काम करना है, उसे तुरंत कर लेना चाहिए। कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा? वक्त कहकर नहीं आता है। अगर हम नेक काम को टालेंगे तो उस काम का महत्व खत्म हो जाएगा और जरूरतमंद व्यक्ति की जरूरत भी पूरी नहीं हो पाएगी।
0 टिप्पणियाँ